अशोक कुमार गुप्ता,लखनऊ : केतकी सिंह बलिया जिला ही नही यूपी की सियासी गलियारे में चर्चा की विषय बनी हुई है की यह नारी नही संघर्ष की प्रतीक है । बांसडीह विधान सभा में चुनाव से पहले तीनो प्रमुख पार्टियों ने इस विधानसभा को ऐसी मथी की यहा की जनता असल मुद्दे से भटक गई। निर्दल महिला प्रत्याशी केतकी सिंह की दमदार मौजूदगी ने न सिर्फ सबका ध्यान खींचा बल्कि नतीजे आने के बाद अब उनके हार की चर्चा भी खूब हो रही है। बतौर निर्दल उम्मीदवार केतकी सिंह ने पूर्वांचल में सबसे अधिक वोट हासिल किया है। लोकनिर्माण टाइम्स ने अक्टूबर में एक सर्वे कराया था उसमे केतकी सिंह को भाजपा की बतौर उम्मीदवार के तौर पर विधायकी का ताज पहना दिया था जो चुनाव नतीजे में निर्दली केतकी और भाजपा गठ्बन्धन के मतो को जोड़ दिया जाए तो केतकी सिंह 70 प्रतिशत मत पाती लेकिन भाजपा की गठबंधन की कीमत केतकी सिंह को चुकाना पड़ा ।
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जिस दिन भाजपा हाईकमान ने भासपा के साथ गठबंधन कर बांसडीह विधान सभा की सीट को बिना कार्यकर्ताओ से राय जाने भासपा को दे दी उस दिन बीजेपी कार्यकर्ताओ ने फूटफूट कर रोया था केतकी सिंह अब चुनाव कैसे लड़ेगी यह सवाल आग की तरह फैल गई। मैंने केतकी सिंह से फोन पर बात करके पूछा की आप चुनाव लड़ेगी या भासपा प्रत्याशी का समर्थन करेंगी तो नेत्री का जबाब था चुनाव नही लडूगी लेकिन कार्यकर्ताओ की जिद के आगे बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ी लेकिन फायदा किसी और को मिल गया । बांसडीह विधान सभा भाजपा जीत चुकी है लेकिन एक कहावत है की ” घर फूटे गवार लुटे” यही कहावत यहा चरितार्थ हुई । भाजपा 325 सीट पाकर उत्साहित है लेकिन बांसडीह विधान सभा की जनता और भाजपा कार्यकर्ता दुखी है अपने हरदिल अजीज नेत्री के चुनाव हारने से ।
पांच सालों तक क्षेत्र में अपने मेहनत और सेवा के दम पर लोगों तक मजबूत पैठ बनाने वाली केतकी ने पूरी दमदारी से चुनाव लड़ा। रामगोविंद चौधरी का जीत उसी समय तय हो गया था जिस दिन केतकी सिंह ने निर्दल चुनाव लड़ने की ऐलान किया था । चुनाव के दौरान चट्टी-चौराहों की बहस में जनता केतकी को विजेता घोषित किया जाने लगी थी । हालांकि जब नतीजे आये तो वे सपा के रामगोविन्द चौधरी से महज 1687 वोटों से चुनाव हार गयीं। केतकी सिंह को बीजेपी ने बागी चुनाव लड़ने के खिलाफ पार्टी से निकाल दिया है लेकिन पार्टी को यह भी सोचना चाहिए की जो कार्यकर्ता 5 साल जीत के लिए जमीन तैयार करता है उसकी भी कद्र होनी चाहिए । केतकी को भाजपा के नेताओं को बड़े दिल से पार्टी में वापस लेकर एमएलसी बनाना चाहिए यह मांग बलिया जिले की कार्यकर्ताओ की पुकार है ।
केतकी सिंह को कुल 49 हजार 514 वोट मिले हैं। यहां भाजपा-भासपा गठबंधन का प्रत्याशी केतकी से करीब 10 हजार वोट पीछे रह गया। खास बात यह कि बतौर निर्दल प्रत्याशी केतकी सिंह ने जिले में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में सबसे अधिक वोट हासिल किया है।
बतौर निर्दल मत पाने वाले पूर्वांचल के टॉप टेन उम्मीदवार
प्रत्याशी विस क्षेत्र मिले मत
केतकी सिंह बांसडीह 49,514
रामराज सिंह पटेल चुनार 17,009
करतार सिंह यादव जमनिया 12,206
कृष्णा पटेल रोहनिया 9,549
सुभाष खरवार ओबरा 6,198
आशनी सिंह बैरिया (बलिया) 6,122
अरविंद कुमार बांसडीह (बलिया) 6,080
मनोज सिंह बैरिया (बलिया) 5,946
गोपाल निषाद सगड़ी (आजमगढ़) 5,876
राकेश कुमार विश्वनाथगंज 5,830