भगवान शिव के भक्तों की सूची शायद सबसे लंबी है। देव हों या दानव, सब शिव के सामने शीश झुकाते हैं। भारत में भगवान शिव का एक मंदिर स्वयं भोलेनाथ के साथ ही उनके एक खास भक्त के कारण भी प्रसिद्ध है।
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के पास असीरगढ़ नामक किले में भगवान शिव का यह मंदिर है। लोगों की मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव गुप्तेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाते हैं। कहा जाता है कि यहां हर अमावस्या और पूर्णिमा को अश्वत्थामा भगवान शिव की पूजा करने आते हैं।
लोक मान्यताओं के अनुसार अश्वत्थामा सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं। महाभारत युद्ध के समय उन्हें भगवान कृष्ण ने शाप भी दिया था और कहा जाता है कि उनके माथे पर घाव भी है जो मणि निकालने के बाद हो गया था। इस मंदिर का नजारा काफी सुंदर है। इसके आसपास पहाड़ियां हैं और यहां ताप्ती व नर्मदा नदी का भी संगम होता है। मंदिर तक आने के लिए काफी चढ़ाई करनी होती है।
हालांकि लोगों का यह मानना है कि किसी ने भी अश्वत्थामा को देखा नहीं लेकिन यहां सुबह पूजन स्थान पर गुलाब के फूल और कुमकुम के निशान मिलते हैं।
पुजारियों के मुताबिक भगवान भोलेनाथ को गुलाब और कुमकुम अश्वत्थामा ही चढ़ाते हैं। उनका यह भी मानना है कि मंदिर के पास जो तालाब है, वहां अश्वत्थामा स्नान करते हैं। स्नान के बाद ही वे भगवान शिव का पूजन करते हैं।
मंदिर से जुड़ा रोचक तथ्य यह है कि अश्वत्थामा के आने व पूजन करने की मान्यता बहुत वर्षों से सुनी व कही जाती रही है लेकिन आज तक किसी ने उन्हें देखने का साहस नहीं किया।
इस संबंध में लोगों का कहना है कि अश्वत्थामा बहुत सवेरे ही यहां आते हैं और इतनी सुबह मंदिर तक पहुंचना बहुत कठिन है। दूसरी मान्यता ये है कि जो भी अश्वत्थामा को देख लेगा उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है, इसलिए कोई उसे देखने की कोशिश नहीं करता। यहां विशेष अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भगवान भोलेनाथ को नमन करते हैं।