रायपुर। हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार के प्रशंसक पूरी दुनिया में हैं। आज भी किशोर दा के चाहने वालों की दीवानगी उनके प्रति कम नहीं हो हुई है। तेलीबांधा के पास रहने वाले ऐसे ही दीवाने की कहानी आज किशोर दा के जन्मदिन पर बता रहे हैं। बात हो रही है यूनिसेफ के अधिकारी शेषगिरी की। शेषगिरी किशोर दा के इस कदर दीवाने हैं कि उनके खंडवा स्थित पुश्तैनी मकान के बाथरूम की टाइल्स को अपने घर में सजाई है।
टाइल्स को अवार्ड के साथ सजाई है। शेषगिरी की मातृभाष कन्नड़ है, लेकिन किशोर दा का ऐसा कोई गाना नहीं है जो उनकी जुबान पर न हो। शेषगिरी ने कहारोज अपने मोबाइल पर पांच से दस गानों की रिकॉर्डिंग किए बगैर नींद नहीं आती। रोजाना किशोर के गीतों से ही सुबह और शाम होती है। किशोर दा मेरे लिए भगवान से कम नहीं हैं।
ऐसे मिली थी टाइल्स
शेषगिरी के घर पर सजी किशोर दा के बाथरुम की टाइल्स की कहानी रोचक है। शेषगिरी बताते हैं-जब रायपुर में पोस्टिंग हुई तो उनके साथ असीम चावला नाम के अधिकारी काम करते थे। कई महीने तक काम करने के बाद उन्होंने मेरे जन्मदिन पर एक पत्थर का टुकड़ा दिया। मैंने जब उनसे पूछा कि आप मुझे जन्मदिन पर पत्थर का टुकड़ा दे रहे हैं, तो वो हंस पड़े। उन्होंने कहा कि ये तुम्हारे लिए पत्थर नहीं, बल्कि भगवान की मूर्ति है। ये पत्थर किशोर दा के पुश्तैनी घर खंडवा के बाथरूम का है।
ऐसे लाए थे असीम चावला पत्थर
शेषगिरी के मित्र असीम चावला अभी हैदराबाद यूनिसेफ में कार्यरत हैं। नईदुनिया से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया- शेषगिरी की तरह मैं भी किशोर दा को भगवान की तरह पूजता हूं। मैं और मेरी पत्नी सन 2000 में किशोर दा का पुश्तैनी मकान देखने खंडवा गए थे। मकान पूरी तरह से जर्जर था, उसके अंदर जाने की किसी को अनुमति नहीं थी। ऐसे में किशोर दा के पड़ोसी और उनके मित्र से मुलाकात कर कुछ निशानी मांग ली।
पड़ोसी ने बताया कि इस मकान में अब कुछ भी नहीं है। मैं उनसे विनती करने लगा तब उन्होंने वहां के बाथरूम की टाइल्स उखाड़ कर मुझे दी। उक्त पड़ोसी के लिए वह पत्थर था, लेकिन मेरे लिए वो हीरे से कम नहीं था। उसके बाद से जो भी किशोर दा का प्रसंशक मिलता है, उक्त टाइल्स का एक टुकड़ा तोहफे स्वरूप देता हूं। इसी तरह शेषगिरी को भी तोहफे में एक टुकड़ा दिया था।