कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद भाजपा आलाकमान अब नए नेता की तलाश में जुट गया है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह व केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मंत्रणाओं में शामिल रहे। नए नेता के नाम को लेकर पार्टी का संसदीय बोर्ड जल्द विचार कर सकता है। साथ ही केंद्रीय पर्यवेक्षक भी बेंगलुरु जाकर विधायकों के साथ चर्चा करेंगे। शनिवार तक नए मुख्यमंत्री की शपथ भी हो सकती है।
भाजपा नेतृत्व ने बीते दिनों येदियुरप्पा को दिल्ली बुलाकर उनको पद छोड़ने के लिए राजी कर लिया था। इसके बाद वादे के मुताबिक येदियुरप्पा ने अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होते ही सोमवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भाजपा नेतृत्व बीते एक सप्ताह से नए नेता के मुद्दे पर लगातार मंथन कर रहा है, लेकिन अभी तक एक नाम पर राय नहीं बन सकी है। राज्य के जातीय समीकरणों में लिंगायत समुदाय से मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन येदियुरप्पा किसी और समुदाय को यह पद देने के इच्छुक हैं। येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं और इस समाज के सबसे बड़े मठ का समर्थन उनको हासिल है।
सामाजिक समीकरण साधने की कवायद
सूत्रों के अनुसार, येदियुरप्पा के बेटे वाय बी विजयेंद्र को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। विजयेंद्र अभी उपाध्यक्ष हैं। ऐसे में पार्टी गैर लिंगायत को मुख्यमंत्री बना सकती है। इसके लिए ब्राह्मण समुदाय से आने वाले संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, विश्वेश्वरा हेगड़े कगेरी का नाम चर्चा में है। लिंगायत समुदाय से आने वाले बसबराज बोम्मई और मुरगेश निरनई का नाम भी चर्चा में है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है।विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाने पर विचार
पार्टी में एक सोच यह भी है कि किसी सांसद के बजाय विधायकों में से ही नेता चुना जाए, ताकि उपचुनाव की जरूरत न पड़े। ऐसे में किसी विधायक या विधान परिषद सदस्य के नाम पर मुहर लग सकती है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय संसदीय बोर्ड इस बारे में फैसला ले सकता है। विधायकों की राय जानने व नए नेता के चुनाव के लिए पार्टी के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह व केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बतौर पर्यवेक्षक बेंगलुरु भेजा जा सकता है। प्रधान पूर्व में कर्नाटक के प्रभारी रह चुके हैं।