कानपुर, [राजीव सक्सेना]। किसी कंपनी का मालिक भी रोजाना अपने कर्मचारियों के साथ भोजन करे तो कितनी सुखद बात होगी। ऐसे ही शानदार आपसी रिश्तों का उदाहरण देखने को मिलता है, पनकी इंडस्ट्रियल एरिया स्थित कंपनी वेद सेसोमैकेनिका में। यह वही कंपनी है, जिसने देश की सबसे तेज ट्रेन वंदेभारत की बोगी के फ्रेम मुहैया कराए हैैं। इसके पहले राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस के बोगी फ्रेम भी कंपनी दे चुकी है।
मालिक ने इसलिए बनवाई कैंटीन
पनकी इंडस्ट्रियल एरिया साइट वन स्थित फैक्ट्री की कैंटीन में कर्मचारियों के साथ कंपनी डायरेक्टर भोजन क्यों करते हैैं? जवाब में दो दशक पुरानी कंपनी के निदेशक आरएन त्रिपाठी कहते हैैं, कर्मचारियों के साथ भोजन करने से कर्मचारियों से आत्मीय रिश्ते बने हैैं। इसका लाभ कंपनी को मिल रहा है। कैंटीन की रूपरेखा के पीछे भी कहानी है। मैैं देखता था कि सुबह छह बजे की शिफ्ट के कर्मचारी टिफिन लेकर आते हैैं।
यूं ही जेहन में सवाल उठा कि इनके परिजन कितने बजे उठते होंगे? कितनी तैयारी करते होंगे? यहीं से लगा कि कैंटीन शुरू की जाए, जहां बहुत कम खर्च में भोजन की व्यवस्था हो। कैंटीन में एक थाली पर 45 रुपये खर्च आता है, लेकिन कर्मचारियों को मात्र 10 रुपये में दी जाती है। यह पैसा भी इसलिए लिया जाता है, ताकि कोई भोजन को थाली में छोड़कर बर्बाद न करे। भोजन की गुणवत्ता अच्छी रहे, इसे देखने के लिए मेरी पत्नी भी अक्सर आती रहती हैैं।
सुबह आने वाले कर्मियों के लिए भोजन की व्यवस्था
दो माह पहले फैक्ट्री पूरी तरह से वातानुकूलित भी की जा चुकी है। यहीं कैंटीन में हॉल के अंदर कर्मचारी व मालिक साथ-साथ भोजन करते हैं। कंपनी में दो शिफ्ट में करीब ढाई सौ कर्मचारी काम करते हैैं। लेकिन, भोजन की यह विशिष्ट सुविधा सुबह की शिफ्ट में आने वाले सवा सौ कर्मचारियों के लिए ही है। थाली भी इनके पहुंचने से पूर्व ही तय समय पर लगा दी जाती है। भोजन करके थाली वहीं छोड़ दी जाती है। कैंटीन का पूरा फर्नीचर फैक्ट्री में ही तैयार किया गया है। मेज व टेबल अटैच हैं। निदेशक आरएन त्रिपाठी कहते हैं कि कैंटीन में कर्मचारियों के साथ भोजन करने से उनके मन में संस्थान के प्रति अपनत्व की भावना बढ़ी है। यही हमारा मकसद भी था।