यूं तो झूठ बोलना गलत से है लेकिन एक ऐसा झूठ सामने आया है जो कोरोना संक्रमित परिवार के लिए संजीवनी बन गई। इस झूठ से मिली ताकत से परिवार ने 10 दिन में ही कोरोना को हरा दिया।
बरगदवा विकास नगर के रहने वाले देवांश के माता-पिता और बड़े भाई में कोरोना के लक्षण दिखे तो उन्होंने 9 अप्रैल को एंटीजन टेस्ट कराकर सभी को घर भेज दिया और उसकी रिपोर्ट खुद रख ली। तीनो पॉजिटिव थे। देवांश ने घर पहुंचने से पहले चिकित्सक से सम्पर्क कर तीनों के लिए दवाइयों के पैकेट बनवा लिए। घर पहुंचे तो मुस्कुराते हुए बोले, सभी की रिपोर्ट निगेटिव है। घबराने की कोई बात नहीं। लेकिन कहीं संक्रमण हो न जाए इसलिए एहतिहातन डॉक्टर ने ये दवाइयां दी हैं जिसे नियमित रूप से खाना है। साथ ही सभी को कम से कम 10 दिन आईसोलेट भी रहना है। किसी से मिलने-जुलने की जरूरत नहीं है। सुबह शाम भाप लेना है और गर्म पानी पीना है। यह सारी बातें बताकर देवांश खुद दूसरे कमरे में आइसोलेट हो गए। हालांकि देवांश की रिपोर्ट निगेटिव थी।
देवांश ने बताया कि उनके माता-पिता कोरोना का नाम सुनते ही कांप जाते थे। उनके अंदर इस बीमारी को लेकर काफी दहशत है। ऐसे में मैंने उनसे उनकी रिपोर्ट छिपा दी। अगर बता देता तो सभी मानसिक रूप से बीमार हो जाते। झूठ बोलने का नतीजा रहा कि सभी आइसोलेशन में आराम से रह रहे थे। कुछ लक्षण जरूर थे लेकिन उससे उन्हें कोई खास तकलीफ नहीं हुई। नतीजा रहा कि महज 10 दिन के अंदर निगेटिव हो गए और आज पूरी तरह से स्वस्थ हैं। हालांकि अभी पिता जी और माता जी को थोड़ी कमजोरी है, वह भी धीरे-धीरे चली जाएगी।
पता चला तो लगे ठहाके
देवांश ने बताया कि 18 अप्रैल को दोबारा जांच में तीनों निगेटिव आ गए। जब रिपोर्ट निगेटिव आ गई तो बड़े भाई को सचाई बता दी। पहले तो वह चौंके लेकिन कुछ देर बार ठहाके मार के हंसने लगे। भाई की वह हंसी मुझे अजीवन याद रहेगी। भाई ने कहा भी कि एक झूठ ने कोरोना को हराया और एक सच ने चेहरे पर मुस्कान ला दी।