तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म मामले में आरोपी भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया है। 19 दिसंबर को सजा का एलान होगा। वहीं, कोर्ट ने मामले में शशि सिंह को बरी कर दिया है। पढ़िए पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर प्रकरण के बारे में सबकुछ…
4 जून 2017 को माखी गांव से एक 17 साल की किशोरी को गांव के ही शुभम व उसका साथी कानपुर चौबेपुर निवासी अवधेश तिवारी अगवा कर ले गए। करीब आठ महीने बाद किशोरी मिली तो उसने परिजनों को आपबीती बताई। पीड़िता की मां ने माखी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
पीड़िता की मां ने गांव के ही रहने वाले विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर और पड़ोस की एक महिला शशि सिंह के जरिए बहाने से घर बुलाकर दुष्कर्म और इसके बाद उसके गुर्गों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
11 जून 2017: पीड़िता ने न्यायालय की शरण ली और 156/3 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जिसमें विधायक और सह आरोपी महिला शशि सिंह का नाम पुलिस ने बाहर कर दिया।
3 अप्रैल 2018: पीड़िता का पिता दिल्ली से पेशी पर आया था। तारीख पेशी के बाद वह अपनी मां को दवा देने गांव गया था। तभी विधायक के भाई व अन्य लोगों ने उसके साथ मारपीट की। 3 अप्रैल विधायक पक्ष के टिंकू सिंह की तहरीर पर माखी थाना पुलिस ने किशोरी के पिता पर आर्म्स एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कर दी। पुलिस ने उसके पास से एक तमंचा भी बरामद दिखाया।
3 अप्रैल 2018: रात में पीड़िता की मां ने डीएम को आपबीती बताई। डीएम ने एसओ माखी को पीड़िता से तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया।
04 अप्रैल 2018: पीड़िता की पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने माखी गांव के ही विनीत, सोनू, बउवा और शैलू सहित अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज किया। इस मुकदमे में पुलिस ने विधायक के भाई अतुल सिंह का नाम हटा दिया जिससे मामले ने तूल पकड़ा।
05 अप्रैल 2018: पुलिस ने जिला अस्पताल में इलाज करने के बाद शाम को किशोरी के पिता को जेल भेज दिया। जबकि परिजन गंभीर चोटों का इलाज कराने की मांग करते रहे।
8 अप्रैल 2018: पिता की सुबह झूठे मुकदमें में फंसाने और उनकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए किशोरी ने परिवार सहित लखनऊ में सीएम आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया।
8 अप्रैल 2018: रात में जेल में बंद किशोरी के पिता की हालत बिगड़ी, रात 9 बजे जेल अधीक्षक एके सिंह ने जिला अस्पताल भेजा। सुबह 3:49 बजे उसकी मौत हो गई।9 अप्रैल 2018: किशोरी के पिता की इलाज के दौरान जिला अस्पताल में मौत होने की घटना सुर्खियों में आई तो सरकार ने कार्रवाई तेज की।
10 अप्रैल 2018: प्रदेश सरकार ने एसआईटी गठित कर मामले की जांच कराई। जांच रिपोर्ट के बाद विधायक के भाई अतुल सिंह सहित पांच लोगों पर किशोरी के पिता की हत्या की रिपोर्ट दर्ज की।
11 अप्रैल 2018: देर रात विधायक के छोटे भाई अतुल सिंह को हसनगंज थानाक्षेत्र से पुलिस ने गिरफ्तार किया। चार अन्य साथी भी गिरफ्तार हुए।
12 अप्रैल 2018: मामला दिल्ली तक पहुंचा। कांग्रेस ने कैंडल मार्च किया और विधायक भाजपा का होने से गिरफ्तारी न होने को लेकर सरकार को घेरा।
12 अप्रैल 2018: रात में ही प्रदेश सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच की मंजूरी दी। भोर पहर 2:50 बजे विधायक और शशि सिंह के खिलाफ सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की।
13 अप्रैल 2018: भोर पहर सीबीआई ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार किया।
14 अप्रैल 2018: सीबीआई ने विधायक कुलदीप सेंगर को विशेष पॉक्सो कोर्ट में पेश किया जहां से विधायक को जेल भेज दिया।
15 अप्रैल 2018: सीबीआई ने विधायक को 14 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की और सबूत जुटाए।
28 अप्रैल 2018: रिमांड अवधि पूरी होने के बाद सीबीआई ने विधायक को उन्नाव जेल भेजा।
08 मई 2018: पीड़िता के चाचा की आपत्ति पर विधायक को उन्नाव जेल से सीतापुर जेल भेजा गया।
16 मई 2018: सीबीआई ने किशोरी के पिता के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने के आरोप में माखी थाने के तत्कालीन एसओ अशोक सिंह भदौरिया और दरोगा केपी सिंह को जेल भेजा गया।
28 जुलाई 2019: रायबरेली जेल में बंद चाचा से मिलने के लिए अपने वकील की कार से चाची व मौसी के साथ जेल जाते समय रायबरेली जिले के गुरुबक्शगंज थानाक्षेत्र के अटौरा बुजुर्ग गांव के पास रहस्यमय हादसे में कार से ट्रक की भिड़ंत हो गई। हादसे में पीड़िता की चाची व मौसी की मौत हो गई, जबकि पीड़िता व वकील गंभीर रूप से घायल हुए। वकील का अभी भी एम्स में इलाज चल रहा है।
26 अक्तूबर 2019: विधायक की पैरोकारी के कारण दिल्ली में रह रहे विधायक के भाई मनोज सेंगर की मौत हो गई।
13 महीने से पीड़िता का चाचा भी जेल में
20 नवंबर 2018: दुष्कर्म पीड़िता की पैरवी कर रहे चाचा को माखी थाना पुलिस ने विधायक के भाई की हत्या के प्रयास के मुकदमे में न्यायलय से जारी वारंट पर दिल्ली से गिरफ्तार किया।
22 नवंबर 2018: दुष्कर्म पीड़िता के चाचा को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया जहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
03 फरवरी 2019: चाचा ने उन्नाव जेल में विधायक से खुद की जान का खतरा बताया। इसपर उसे रायबरेली जेल भेजा गया।
28 जुलाई 2019: रायबरेली में हुए हादसे के बाद मामला फिर सुर्खियों में आया, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी मुकदमों की सुनवाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में शुरू हुई। इसके बाद विधायक व अन्य आरोपियों के साथ ही पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल भेजा गया।