प्राइवेट ट्रॉमा सेन्टर कर्मियों ने बिल में रुपये कम होने पर शव को नहीं उठने दिया। कई घंटों तक मृतक के परिवारीजनों व ट्रॉमा सेन्टर कर्मियों में शव को लेकर विवाद होता रहा। मामला अस्पताल प्रशासन तक पहुंचा। अस्पताल प्रशासन ने हस्तक्षेप कर शव परिजनों के दिलवाया।
थाना बसई मोहम्मदपुर के नगला चूरा निवासी श्यामवीर (35) पुत्र कैलाशी की 19 दिसम्बर को अचानक तवियत खराब हो गई थी। परिवारीजनों की मानें तो उसको रामनगर में एक चिकित्सक से दवा दिला दी। उस समय उसको आराम मिल गया। दूसरे दिन उसकी तबीयत फिर खराब हो गई। परिवारीजनों ने 20 दिसम्बर को उसे ट्रामा सेन्टर में भर्ती करा दिया। तभी से उसका वहीं पर उपचार चल रहा था। ट्रामा सेन्टर में उपचार के दौरान उसकी शुक्रवार को मौत हो गई। ट्रामा सेन्टर का 24 हजार 500 रुपये का बिल बना था। भाई रघुवीर ने बताया उनके पास बिल में 3500 रुपये कम थे। इस कारण ट्रामा सेन्टर के कर्मचारियों ने श्यामवीर का शव नहीं दिया। परिवारीजन उनसे काफी मिन्नतें करते रहे। अस्पताल कर्मियों का दिल नहीं पसीजा।
उन्होंने साफ कह दिया कि जब तक पूरा रुपया जमा नहीं हो जाता शव नहीं दिया जाएगा। श्यामवीर के परिवारीजन व अस्पताल कर्मियों के बीच काफी देर तक विवाद होता रहा। कर्मचारी किसी भी हालत में शव देने को तैयार नहीं हुए। आखिरकार मामला अस्पताल प्रशासन के पास पहुंचा। अस्पताल सचिव पीके जिन्दल ने अस्पताल पहुंचकर श्यामवीर का शव वापस दिलाया। अस्पताल कर्मियों के व्यवहार को देख वहां मौजूद लोग काफी हैरत में रह गए। सचिव का कहना है कि जिस समय युवक यहां से गया है वह जीवित था। परिवारीजन रुपया न देने का कारण उसको मृत बता रहे थे। मामले का पता चलते ही उन्होने पहुंच कर उसे परिवारीजनों के सुपुर्द कराया।