दिल्ली फायर सर्विस ने हाल में भीषण आग की चपेट में आए ऐसे किसी भी भवन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनके पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट तो है, लेकिन उन्हें नया अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी नहीं किया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को इस बारे में बताया।
यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है जब दमकल विभाग ने पाया कि ऐसे कुछ प्रतिष्ठानों में फायर सेफ्टी उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इन प्रतिष्ठानों में अस्पताल और निर्माण इकाइयां शामिल हैं। अब तक विभाग ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) समेत ऐसे दो प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किया है।
दिल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) के निदेशक अतुल गर्ग ने सोमवार को इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि एम्स को एक नोटिस भेजा गया है और 16 जून को संस्थान के कन्वर्जेंस ब्लॉक में आग लगने की घटना के बाद उसे नए एनओसी के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया है। आग पर काबू पाने के लिए तब मौके पर 20 से अधिक दमकल की गाड़ियां भेजी गई थीं। हालांकि, घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था।
दमकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब आग लगी थी तब पाया गया कि उक्त भवन में फायर सेफ्टी का कोई उपकरण काम नहीं कर रहा था। स्मॉग अलार्म (धुएं का संकेत देने वाले उपकरण) भी काम नहीं कर रहे थे, इसलिए एम्स को नोटिस जारी किया गया है और उसे दमकल विभाग से नया एनओसी मिलने तक उक्त भवन का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने बताया कि एम्स को अपने सभी भवनों में आपदा प्रबंधन योजना और 24 घंटे प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मियों को रखने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि नोटिस के बाद एम्स ने नए एनओसी के लिए आवेदन किया है और फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए जांच किए जाने की संभावना है। सोमवार को भी एम्स के आपात विभाग के ऑपरेशन थिएटर से सटे एक कक्ष में आग लग गई थी। हालांकि, घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था।
दमकल विभाग के अनुसार, पश्चिमी दिल्ली में दो मंजिला गोदाम में आग लगने की घटना के बाद शुक्रवार को संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर डीएफएस से नया एनओसी मिलने तक उसका इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वैध एनओसी और फायर सेफ्टी उपकरणों के काम करने की स्थति में नया प्रमाण पत्र जरूरी नहीं है।