अब मिलेगी सस्ती बिजली! इस बदलाव के साथ उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत

उपभोक्ता बहुत जल्द मोबाइल कंपनी की तरह बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी चुन सकेंगे। इसके लिए सरकार बिजली कानून में संशोधन करने संबंधी बहुप्रतीक्षित विधेयक मानसून सत्र में लाएगी। मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इसमें एक क्षेत्र में कई कंपनियों को आपूर्ति करने की जिम्मेदारी दी जाएगी जिससे उपभोक्ताओं के पास अपनी पसंद की कंपनी चुनने का विकल्प होगा।

यह कानून विद्युत उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति के साथ ही दूसरी सुविधाएं देने भी का रास्ता साफ करेगा। यह विधेयक बिजली क्षेत्र में क्रास सब्सिडी को खत्म करने और बिजली वितरण में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह ने कहा कि इसमें कंपनियों पर अक्षय ऊर्जा खरीद की शर्त (आरपीओ) कड़ाई से लागू की जाएगी। इसके अलावा विधेयक में क्रॉस सब्सिडी यानी एक वर्ग से ऊंचा मूल्य लेकर दूसरे वर्ग के उपभोक्ता को सस्ती दर पर बिजली देने के मामले में दर का अंतर 20 फीसदी से कम रखने की शुल्क नीति अनिवार्य की जाएगी। इसका मतलब है कि उच्च और न्यूनतम शुल्क दरों में 20 प्रतिशत से अधिक अंतर नहीं होगा जो अभी काफी ज्यादा है। मंत्री ने कहा कि इससे उद्योग को मिलने वाली बिजली की दरें उचित होंगी जो फिलहाल काफी ऊंची होती हैं।

बजट में वित्त मंत्री ने किया था ऐलान

इस साल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार ग्राहकों अब यह सुविधा देगी जिससे वह अपनी मनमर्जी से बिजली कंपनियों को चुन सकेंगे। इसके तहत बिजली उपभोक्ताओं को एक से अधिक बिजली आपूर्ति कंपनियों में से किसी को चुनने का विकल्प देने के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी। सिर्फ इतना ही नहीं बिजली उपभोक्ताओं को कंपनियों का विकल्प देने के लिए नियम बनाए जाएंगे। बिजली आपूर्ति और वितरण नेटवर्क के कारोबार को अलग-अलग करने का प्रावधान होगा।

सस्ती बिजली का रास्ता साफ होगा

मौजूदा समय में बिजली एक्सेंज पर बिजली की दर तीन रुपये प्रति यूनिट से कम है जबकि कंपनियां उपभोक्ताओं से पांच से छह रुपये प्रति यूनिट की दर से वसूल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने और लंबी अवधि के करार की वजह से मौजूदा बिजली कंपनियां दाम घटाने को तैयार नहीं है। नई कंपनियां मौजूदा बाजार भाव पर बिजली खरीदेंगी जिससे वह सस्ती पेशकश कर सकती हैं। इससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।

सभी राज्य तैयार: आर.के.सिंह

केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह ने कहा, हम बिजली कानून में कई संशोधन ला रहे हैं। इसमें वितरण नेटवर्क और बिजली आपूर्ति कारोबार को अलग करने का भी प्रावधान होगा। जिस प्रकार हमने उत्पादन और वितरण को अलग किया, अब आपूर्ति और वितरण कारोबार को अलग-अलग करना है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राज्य ने अभी तक इसपर असहमति नहीं जुताई है। साथ ही इसके तहत पुरानी कंपनियों को बेदखल नहीं किया जाएगा बल्कि बाजार में नई कंपनियों को भी मौका दिया जाएगा।

कंपनियों के लिए होगी यह शर्त

आपूर्ति कंपनियों को सभी उपभोक्ताओं को 24 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। इलाके में बिजली की वार्षिक औसत मांग को पूरा करने के लिए बिजली की बिक्री या खरीद का काम पावर पर्चेज एग्रीमेंट्स (पीपीए) के जरिए होगा। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा की एक न्यूनतम मात्रा खरीदनी होगी।

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