यूपी में किसानों को सिंचाई की अधिकाधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार की कोशिशें रंग ला रही हैं। बीते तीन वर्षों में कुल 11 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं, जिनमें 2.21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन हुआ तथा 2.33 लाख किसान लाभान्वित हुए। यूपी के प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में कुल नौ परियोजनाओं को पूर्ण करने का लक्ष्य है, जिससे 16.41 लाख हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित होगी और इससे 40.48 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में किसानों को बोरिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही अब नलकूपों को सौर ऊर्जा से संचालित कराया जाएगा। किसानों को उथले, मध्यम व गहरे नलकूपों की बोरिंग सुविधा प्रदान की जाएगी। किसानों को सिंचाई के लिए डीजल और बिजली के स्थान पर वैकल्पिक ऊजार् प्रबंधन के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान ऊजार् सुरक्षा एवं उत्थान (पीएम कुसुम) योजना के अंतर्गत विभिन्न क्षमता के सोलर पंपों की स्थापना भी कराई जा रही है। प्रदेश के लघु सीमांत अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अन्य श्रेणी के कृषकों को नि:शुल्क बोरिंग सामूहिक मिनी ग्रीन ट्यूबेल, वर्षा जल संचयन के लिये तालाब निर्माण इत्यादि योजनाओं के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इतना ही नहीं अनुसूचित जाति एवं सीमांत किसानों को नि:शुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत 10 हजार रुपये प्रति लाभार्थी की सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रवक्ता ने बताया कि वर्तमान सरकार बाढ़ की समस्या से स्थायी निजात दिलाने के लिए नियोजित कार्य कर रही है। सतत प्रयासों से न केवल बाढ़ सीजन में जनजीवन सुरक्षित रहा है, बल्कि खेतों की सिंचाई क्षमता में भी इजाफा हुआ है। इससे लोगों का विश्वास भी बढ़ा है। बाढ़ से बचाव के प्रति यह सरकार की प्रतिबद्धता ही है कि अब बाढ़ से संबंधित परियोजनाएं जनवरी में ही शुरू हो रहीं हैं और बरसात से पहले मई तक पूरी भी हो जाएंगी। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी ने बाढ़ बचाव से जुड़ी 146 परियोजनाओं का लोकार्पण तथा 170 परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया है। बाढ़ आपदा की दृष्टि से 2०17 में प्रदेश के 24 जिले अति संवेदनशील थे, जबकि 16 जिले संवेदनशील श्रेणी में थे।
बावजूद इसके, न कहीं बाढ़ बचाव की कोई व्यवस्थित कार्ययोजना थी, न राहत सामग्री की। लेकिन वर्तमान सरकार ने स्थानीय जरूरतों का आंकलन कर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की, उन्हें लागू कीं और जवाबदेही निर्धारित की। नतीजा आज काफी बड़े पैमाने पर बाढ़ से लोग सुरक्षित हुए हैं। व्यापक स्तर पर लोगों को सहायता मुहैया कराई गई है। यही नहीं, राज्य के इतिहास में पहली बार कुछ अभिनव प्रयोग भी किए गए। नदियों की ड्रेजिंग और चैनलाइजेशन की व्यवस्थित कार्ययोजना बनाकर काम हुआ। इसके अच्छे परिणामों से उत्साहित तमाम जनप्रतिनिधियों ने इसे अपने क्षेत्रों में भी लागू करने की जरूरत बताई है।