नई दिल्ली। ढाई साल से अटके मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा ने भारी बहुमत से पारित कर दिया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह मौजूदा ‘मोटर वाहन कानून, 1988’ की जगह ले लेगा। विधेयक में यातायात उल्लंघन पर जुर्मानों में कई गुना बढ़ोतरी के अलावा आरटीओ में भ्रष्टाचार रोकने और सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। जानिये इस संशोधित कानून की खास बातें।
– मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक पहले 2017 में पेश किया गया था। लोकसभा से पारित होने के बाद यह संसद की स्थायी और प्रवर समिति से होते हुए राज्यसभा पहुंचा था, लेकिन वहां से पारित नहीं हो सका था। नई लोकसभा में मोदी सरकार ने इसे नए सिरे से पेश किया था।
– विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सदन को भरोसा दिया कि राज्यों के अधिकारों का कोई अतिक्रमण नहीं होगा।
– राज्य सरकार के कर विभाग के अलावा और किसी को रोड टैक्स नहीं मिलेगा। टैक्स की दर भी राज्य सरकार तय करेगी। RTO अफसर डीलर के पास जाएगा, तब रजिस्ट्रेशन होगा। नंबर देने का अधिकार भी राज्य सरकार का होगा।
– विधेयक में इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को इतना ज्यादा जुर्माना देना पड़े कि वे भविष्य में उल्लंघन करने से डरें।
– प्रस्तावित कानून में न्यूनतम जुर्माना 100 रुपये के बजाय 500 रुपये रखा गया है। अभी जुर्माने की राशि बहुत कम होने की वजह से ज्यादातर वाहन चालकों में इसका कोई डर नहीं होता।
– संशोधित अधिनियम में आम लोगों के मुकाबले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों से यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर दोगुना जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया है।
– संशोधित अधिनियम में वाहन निर्माता कंपनी और सड़क बनाने वाले ठेकेदार की जिम्मेदारी भी तय की गई है। वाहन निर्माता कंपनी पर गाड़ी के निर्माण में गड़बड़ी करने पर 100 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
– यदि हादसे की वजह खराब सड़क हुई तो सड़क निर्माण में कोताही बरतने वाले ठेकेदार पर भी एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
– नए कानून में मोटर दुर्घटना कोष की स्थापना की व्यवस्था भी है जो सड़क का इस्तेमाल करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अनिवार्य बीमा कवर देगा।
– सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए वाहन चालक के अलावा मालिक को भी जेल भेजने के प्रावधान किए गए हैं। इस प्रावधान का उपयोग नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर होगा।
अन्य प्रावधान :-
* सुरक्षा मानक पूरा न करने वाली वाहन निर्माता कंपनी पर 500 करोड़ रुपये तक और सड़क की खराब गुणवत्ता के लिए कंपनी अथवा ठेकेदार पर एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान।
* ओला, उबर जैसे एग्रीगेटर्स के ड्राइविंग लाइसेंस नियमों का उल्लंघन करने पर 1 लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा।
* संशोधित विधेयक में पर्यावरण के साथ यातायात वाहनों की ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग को लेकर भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जुर्माने की अधिकतम एक लाख रुपये की रकम को राज्य 10 गुना तक बढ़ा सकते हैं।