अमेरिकी सैनिकों की रवानगी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान के 85 फीसदी क्षेत्र पर अपना कब्जा होने का दावा किया है, जिसके बाद भारत ने भी कंधार में कॉन्सुलेट बंद कर अपने कर्मचारियों को वापस बुलाने का फैसला किया। भारत ने अपने 50 से ज्यादा राजनयिकों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों को वायुसेना को विशेष विमान से वापस बुलाया है।
खबरों के मुताबिक, भारत ने शनिवार को अपने कर्मचारियों को वापस बुलाया। बता दें कि महज चार दिन पहले ही भारत ने कहा था कि काबुल में उसके दूतावास और कंधार के साथ ही मजर-ए-शरीफ में स्थित कॉन्सुलेट को बंद करने की फिलहाल भारत की कोई योजना नहीं है। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि अफगानिस्तान में लगातार खराब होती जा रही सुरक्षा व्यवस्था पर भारत अपनी करीबी नजर बनाए हुए है और भारतीय नागरिकों का साथ ही अधिकारियों को भी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय राजनयिकों, सपोर्ट स्टाफ और गार्ड्स को वापस नई दिल्ली बुलाने के बाद कंधार में भारतीय कॉन्सुलेट को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है।
यह भी माना जा रहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तानी आतंकवादियों को अफगानिस्तान में बढ़ती मौजूदगी की वजह से भी भारत ने यह कदम उठाया है। अफगानिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में यह अनुमान पेश किया है कि दक्षिणी अफगानिस्तान में तालिबान के साथ लश्क-ए-तैयबा के करीब 7 हजार आतंकवादी भी लड़ रहे हैं। हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में तालिबान के तेजी से बढ़ने के कारण अफगानिस्तानी सैनिकों को भाग कर ताजिकिस्तान की सीमा में जाना पड़ा था। ताजिकिस्तान का यह सैन्य शिविर रूस का सैन्य बेस है। ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान से साथ सटी अपनी दक्षिणी सीमा पर सुरक्षा मजबूत बनाने के लिए सैन्य रिजर्व से करीब 20,000 सैनिकों को बुलाया है।
ईरान की मीडिया में शुक्रवार को आई खबर के अनुसार, तालिबान का कब्जा ईरान और अफगानिस्तान से जुड़ी दो सीमाओं पर है, जिनमें व्यापार के लिए महत्वपूर्ण इस्लाम काला रास्ते पर भी बृहस्पतिवार को संगठन का नियंत्रण हो गया था। ईरान के सरकारी रेडियो के अनुसार, तालिबान के आगे बढ़ने के कारण पीछे हट रहे करीब 300 अफगान सैनिक ईरान की सीमा में प्रवेश कर गए हैं।