पूर्व सांसद अतीक अहमद का रिमांड नामंजूर किए जाने के खिलाफ सरकार द्वारा दाखिल की गई निगरानी को स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए ने मंजूर कर अधीनस्थ न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया। अतीक अहमद के खिलाफ नौ आपराधिक मामलों में विवेचक ने अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष अर्जी देकर न्यायिक अभिरक्षा का वारंट वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बनाए जाने की याचना की थी।
कोर्ट ने यह कह कर विवेचक की अर्जी खारिज कर दी थी कि प्रथम रिमांड के समय अभियुक्त का कोर्ट में भौतिक उपस्थिति आवश्यक है। स्पेशल कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय को निर्देश दिया है कि वह विवेचक की अर्जी का निस्तारण करें। यह आदेश स्पेशल कोर्ट के जज आलोक कुमार श्रीवास्तव ने डीजीसी गुलाब चंद्र अग्रहरी और सहायक अभियोजन अधिकारी धीरेंद्र कुमार पांडे द्वारा प्रस्तुत निगरानी याचिका पर राजेश गुप्ता एडीजीसी एवं विशेष लोक अभियोजक बिरेंद्र कुमार सिंह के तर्कों को सुनकर दिया।
प्रकरण धूमनगंज थाने का है। अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज 9 आपराधिक मामलों में न्यायिक अभिरक्षा में लिए जाने के लिए विवेचकों द्वारा अलग-अलग अर्जी प्रस्तुत कर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हिरासत वारंट बनाए जाने की याचना की गई थी। अधीनस्थ न्यायालय ने विवेचक की अर्जी यह कह कर खारिज कर दी थी कि प्रथम रिमांड के समय अभियुक्त की कोर्ट में भौतिक उपस्थिति आवश्यक है। विवेचक की अर्जी खारिज कर दिए जाने के बाद अभियोजन की ओर से अधीनस्थ न्यायालय के आदेश 15 मई 2020 और 3 दिसंबर 2020 के आदेश के खिलाफ जिला जज के न्यायालय में निगरानी प्रस्तुत की गई। सुनवाई स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए में हुई।
स्पेशल कोर्ट ने दोनों निगरानी अर्जी मंजूर कर ली और अधीनस्थ न्यायालय को विवेचक की अर्जी का निस्तारण करने का निर्देश दिया है। स्पेशल कोर्ट ने उच्चतम न्यायालय और उत्तर प्रदेश राज्य न्यायालय वीडियो कांफ्रेंसिंग नियमावली का हवाला देते हुए कहा है कि प्रथम रिमांड वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से असाधारण परिस्थितियों में ही लिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों में अभियुक्त और साक्षी की सुरक्षा भी शामिल है तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश से ही अतीक अहमद अहमदाबाद जेल में बंद है जिसकी दूरी 1200 किलोमीटर है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी भी असाधारण परिस्थितियों की श्रेणी में आती है।