लोक सेवा आयोग की पीसीएस, एसीएफ व आरएफओ 2019 प्री परीक्षा में वही हुआ, जिसकी संभावना जताई जा रही थी। आयोग ने प्रश्न पूछने के पैटर्न में कई बदलाव किए, जिसकी वजह से ज्यादातर परीक्षार्थी चकरा गए। प्रश्नों को देख इस सर्द मौसम में भी परीक्षार्थियों को पसीना छूट गया।
पेपर देखने से साफ है कि आयोग ने उन विशेषज्ञों से पेपर तैयार करवाए , जो संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का पेपर तैयार करते हैं। प्रश्न पूछने का तरीका ठीक वैसा ही था, जैसे आईएएस प्री में होता है। इससे उन परीक्षार्थियों को तगड़ा झटका लगा, जिन्होंने रट्टामार तैयार की थी। फायदा उन्हें हुआ, जिनकी विषय पर पकड़ थी। सिविल सेवा कोच सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं कि दोनों ही पेपर में पूछे गए प्रश्न स्मरण शक्ति के साथ ही विषय के बारे में सटीक ज्ञान का मिश्रण थे
प्रयागराज में प्री के लिए 111 केंद्र बनाए गए थे। इन केंद्रों पर 76 प्रतिशत परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। कुल 51768 परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी, जिसमें से 39646 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी जबकि 12122 अनुपस्थित रहे।
हिन्दी ने भी हिला दिया
दूसरे पेपर में पूछे गए 100 प्रश्नों में 20 प्रश्न हिन्दी, 15 अंग्रेजी और 35 प्रश्न गणित व तर्कशक्ति पर आधारित थे। शेष 30 प्रश्न अंतरवैयक्तिक संप्रेषण क्षमता के थे। खास बात यह है कि इस बार हिन्दी के प्रश्नों ने भी परीक्षार्थियों को हिला दिया। आभ्यंतर का विलोम, खिड़की का पर्यायवाची, हंसपद विरामचिह्न, तालु से उच्चारण किए जाने वाले व्यंजन के साथ ही संधि-विच्छेद भी आसान नहीं था।
सीसैट में 33 % मुश्किल
पीसीएस प्री में जीएस का दूसरा पेपर सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट यानी सीसैट पर आधारित होता है। इसके अंक मेरिट में नहीं जोड़े जाते हैं पर इसमें 33 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य होता है। 33 प्रतिशत न पाने वाले को अयोग्य कर दिया जाता है, भले ही उसने पहले पेपर में बहुत अच्छा क्यों न किया हो। सीसैट का पेपर इस तरह से बनाया गया था कि इसमें 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना बड़ी चुनौती होगी।
58 प्रतिशत रही उपस्थिति
पीसीएस, एसीएफ एवं आरएफओ प्री परीक्षा में 58 प्रतिशत परीक्षार्थी शामिल हुए। आयोग के सचिव जगदीश ने बताया कि आवेदन करने वाले 544664 परीक्षार्थियों में से 318624 परीक्षा में शामिल हुए जबकि 226040 अनुपस्थित रहे। परीक्षा प्रदेश के 19 शहरों में बनाए गए 1166 केंद्रों पर दो पालियों में आयोजित हुई। बकौल सचिव सभी केंद्रों पर परीक्षा शांतिपूर्ण संपन्न हुई।
नए ढंग से दिए गए उत्तर विकल्प
पीसीएस प्री के पेपर में सामान्य तौर पर प्रश्न के नीचे उत्तर के चार विकल्प दिए जाते थे लेकिन इस बार सुमेलित करने और कूट आधारित उत्तर विकल्प वाले प्रश्नों की अधिकता रही। जीएस पहले पेपर में पूछे गए 150 प्रश्नों में से 55 प्रश्न सुमेलित और कूट आधारित थे। बाकी प्रश्नों में भी चार विकल्प कुछ इस तरह से दिए गए थे कि किसी एक को सही चुनना मुश्किल हो रहा था क्योंकि प्रश्न को सीधे पूछने के बजाए घुमा कर पूछा गया था। इस वजह से कई प्रश्नों में परीक्षार्थियों को एक के बजाए दो-दो विकल्प सही लग रहे थे।
एनसीईआरटी को बनाया आधार
ज्यादातर परीक्षार्थियों का मानना है कि इस बार पेपर तैयार करने के परंपरागत तरीके को बदलकर एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को आधार बनाया गया। एनसीईआरटी की अनदेखी कर प्रतियोगी पत्रिकाओं के आधार पर तैयारी करने वालों को इससे तगड़ा झटका लगा है
यूपी स्पेशल की कमी
पूर्व की परीक्षाओं में पीसीएस में यूपी पर आधारित प्रश्न भी पूछे जाते थे। राज्य सरकार की योजनाओं, यहां की कृषि, उत्पाद आदि पर आधारित प्रश्न भी पेपर में होते थे लेकिन इस बार यूपी स्पेशल की कमी रही। जानकारों का कहना है कि ऐसा पीसीएस प्री के पेपर को आईएएस प्री के समतुल्य करने के मकसद से किया गया।
केबीसी आधारित भी रहे प्रश्न
कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में हाट सीट के लिए प्रतिभागी का चयन करने के लिए फास्टर फिंगर फस्र्ट प्रश्न पूछा जाता है। पीसीएस प्री में भी इस तरह के प्रश्न पूछे गए। जम्मू-कश्मीर को लेकर महाराजा हरि सिंह से संबंधित एक प्रश्न कुछ इसी तरह से पूछा गया था तो स्वेज नहर क्षेत्र की झीलों से संबंधित प्रश्न भी इसी तरह से पूछा गया था।