उत्तराखंड के हरिद्वार से गंगा में 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने का असर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में दिखने लगा है। गंगा किनारे बसे कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। प्रदेश में गंगा के एंट्री पॉइंट यानी बिजनौर से ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड रिपोर्ट की।
यहां 30 से ज्यादा गांवों में रहने वाले 12 हजार लोग मुसीबत में हैं। 6 गांव के लिए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। इनमें रावली, ब्रह्मपुरी, मीरापुर खादर, ब्रहमपुरी, दयलवाला और नन्दगांव गांव शामिल हैं। देर रात अचानक रावली गांव के खेतों में पानी भर गया। इसमें 10 से ज्यादा लोग फंसे थे। सुबह इन्हें SDRF की टीम ने रेस्क्यू किया। इसके पहले रात में भी करीब 50 लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया। अभी तक 4 गांव को प्रशासन ने खाली करा लिया है। बाकी गांवों को भी खाली कराया जा रहा है।
खेत डूबे, ग्रामीण घर छोड़ने को तैयार नहीं
गंगा किनारे ग्रामीणों के खेत डूब गए हैं। सारी फसलें बर्बाद हो गईं हैं। हालांकि, अभी ग्रामीणों के घर तक पानी नहीं पहुंचा है। फिर भी ऐहतियातन लोगों को घर खाली करने के लिए बोला गया है, लेकिन ग्रामीण घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हमारा सबकुछ दांव पर लगा है। अगर ऐसे छोड़ कर गए तो पता नहीं वापस मिलेगा या नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार बाढ़ आई कई गांव कटान में गए तो उनका नामोनिशान मिट गया। हम नही चाहते हैं कि बरसों की मेहनत से जो बनाया वह चला जाए।
उत्तराखंड में बाढ़ आने का मतलब बिजनौर का डूबना तय
- 2013 में उत्तराखंड में जल-प्रलय आया था। उस वक्त जहां वहां के हालात बदतर थे तो वहीं बिजनौर के गंगा किनारे खादर इलाके में बसे 50 किलोमीटर एरिया में 100 से ज्यादा गांव भी प्रभावित हुए थे।
- कई गांव गंगा में समा गए तो कई लोग बाढ़ में खो गए। कई ऐसे परिवार थे जिन्हें अपना सबकुछ गंगा के हवाले करके कहीं और जाना पड़ा था।
- 31 बाढ़ चौकी बनाई गई
- बिजनौर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में 31 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। इनमें 155 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को अलर्ट किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि बिजनौर में गंगा तीन तहसील और 5 थाना क्षेत्रों से होते हुए अमरोहा में निकलती है। ऐसे में इन सभी इलाकों में गांव की निगरानी ड्रोन कैमरों से भी की जा रही है।