Unnao: देश में कोरोना वायरस जमकर तबाही मचा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद पहले अस्पतालों में बेड कम पड़े फिर ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई और अब मौत का आंकड़ा इतना बढ़ चुका है कि लोगों को अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो रहा है। हाल ही में गंगा नदी में कई शव तैरते हुए मिले थे। इसके बाद पता चला है कि उन्नाव जिले के कई घाटों में अब जगह नहीं बची है। जिले के बक्सर और रौतापुर घाट में अब किसी का शव दफनाने के लिए जगह नहीं है।
गंगा के किनारे बड़ी संख्या में शव दफनाने के लिए छोटी कब्रें खोदी जा रही हैं। हालांकि, नदी के किनारे की मिट्टी रेतीली होती है और कुत्ते बड़ी आसानी से यहां बनी कब्रों को खोदकर उनसे शव निकाल लेते हैं। इसके बाद किसी के परिजन का शरीर कोरोनाकाल में कुत्तों का भोजन बन जाता है।
रोजाना आ रहे 10 से 12 शव
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले दिन में 2 से 3 शव अंतिम संस्कार के लिए आते थे। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद इस संख्या में बहुत ज्यादा तेजी आई है। घाट में काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि अब घाट में रोजाना 10 से 12 शव आ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ 20 से 25 फीसदी शवों को दफनाया जा रहा है। बाकी सभी शव जलाए जा रहे हैं।
एक महीने के अंदर 300 लोगों का अंतिम संस्कार
पिछले महीने घाट के किनारे लगभग 300 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया था। कई लोगों के पास चिता की लकड़ी तक खरीदने के पैसे नहीं थे। इस वजह से उन्होंने अपने परिजन का शव जलाने की बजाय दफना दिया। प्रशासन का कहना है कि यह क्षेत्र गंगा किनारे बसा हुआ है। यहां पिछले कुछ महीने में शवों की संख्या बढ़ी है। यह इलाका फतेहपुर, रायबरेली और उन्नाव जिले से लगा हुआ है।
लोगों ने कहा रहस्यमयी बीमारी से हुई मौत
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां अधिकतर लोगों की मौत एक रहस्यमयी बीमारी से हुई है। सर्दी, बुखार और खांसी इसके लक्षण हैं। हालांकि, जिले के कलेक्टर ने यह मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि उनकी टीम को नदी से काफी दूर एक इलाके में शव मिले हैं। दूसरी जगहों पर भी शवों की तलाश जारी है। उन्होंने साथ ही कहा कि एक टीम को जांच के निर्देश दे दिए गए हैं और इसी के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।