Sidhi Bus Accident। सीधी बस हादसे में अब नहर से 51 शव निकाले जा चुके हैं, इनमें तीन लोग और लापता बताए गए हैं, गुरुवार सुबह से इनती तलाश में सेना की टीम लगी है। लापता की तलाश में नहर में करीब 20 किमी से ज्यादा तलाश की गई है। इस बात की आशंका भी है कि वे नहर में बनी सुरंग में फंसे हो सकते हैं, ऐसे में तीव्रगति से पानी छोड़ा जाएगा, जिससे दूसरी ओर ये आ जाएं। इसके पहले बुधवार को सपनी द्वारी जिला सीधी निवासी देवेश (22) पुत्र दीनदयाल प्रजापति निवासी, खुशबू (23) पुत्री बंशपति पटेल निवासी पचोखर चुरहट सीधी, स्वाति (19) पुत्री प्रताप मनोज प्रजापति निवासी हरफरी चितरंगी सिंगरौली और सौम्या (5) पुत्री हरिप्रताप गोंड निवासी देवसर सिंगरौली के शव नहर से बरामद हुए थे।
सीधी हादसा, छुहिया घाटी पहुंचे मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट के एमडी
सीएम शिवराज सिंह के दौरे का असर निर्देशों का पालन शुरू हो गया है। छुहिया घाटी के सड़क की मरम्मत और यातायात सुचारु रूप से चले इस तारतम्य में सीधी की पिपराव रेस्ट हाउस में रीवा और सीधी जिले के संभागीय और जिला स्तरीय अधिकारियों की आपातकालीन बैठक शुरू बैठक में मुख्य रूप से डीआईजी अनिल सिंह कुशवाह, कलेक्टर सीधी, कलेक्टर रीवा इलैयाराजा टी, रीवा पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह, सीधी एसपी पंकज कुमावत कलेक्टर, एएसपी रीवा शिवकुमार वर्मा, सीएसपी प्रतिभा शर्मा डीएसपी नीरज नामदेव सहित रोड डवलपेन्ट के अधिकारी जिला पंचायत के सीओ सहित अन्य विभागों के जिमेदार अधिकारी बैठक में उपस्थित हैं।
शर्मसार करने को काफी है बड़े हादसों की जांच का हश्र
मंगलवार को सीधी में नहर में बस के डूब जाने की घटना के बाद लोगों को इसी क्षेत्र में हुई दो बड़ी घटनाओं की अचानक याद आ गई। इन दोनों घटनाओं में बड़ी संख्या में यात्रियों ने जान गंवाई थी। हादसों के बाद जांच की औपचारिकता हुई। कुछ लोग दोषी ठहराए गए लेकिन प्रशासनिक खामियों और जिम्मेदार अधिकारियों के असंवेदनशील रवैये से वह भी बरी हो गए। पूर्व में हुए हादसों से यदि सबक लिया गया होता तो मंगलवार को सीधी में इतनी बड़ी घटना को रोका जा सकता था। पूर्व की घटनाओं और जांच का हश्र-
लिलजी बांध में समा गई थी बस
1988 में रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व यात्री बस लिलजी बांध में समा गई थी। जिसमें 88 लोगों की मौत हुई थी। तत्कालीन सरकार ने आननफानन में आरटीओ सतना को निलंबित कर बस की परमिट और फिटनेस हमेशा के लिए निरस्त कर दिया था। चालक और बस मालिक के खिलाफ लापरवाही करने का मामला चलाया गया था। जिसमें न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में मालिक को बरी कर दिया था और चालक के ऊपर जुर्माना लगाया था।
88 मौतों पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी हो गया माफ
1988 में लिलजी बांध में बस के डूब जाने की घटना में 88 यात्रियों की जान चली गई थी। इस घटना की जांच के बाद चालक पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। मामला ऊपरी अदालतों तक गया और प्रशासन की पैरवी में चूक के चलते जुर्माना भी माफ हो गया।
गोविदंगढ़ तालाब में डूब गई थी बस
18 नवंबर 2006 को सीधी से रीवा जा रही बस गोविंदगढ़ के तालाब में समा गई थी। जिसमें 68 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में बस परमिट और फिटनेस हमेशा के लिए निरस्त कर दी गई थी। चालक और बस मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। दोनों पर जुर्माना लगाया गया था।
पन्ना में जिंदा जले थे यात्री
चार मई 2015 को छतरपुर से पन्ना आ रही बस पन्ना जिले के मड़ला के पास तेज रफ्तार होने के कारण घाटी पर पलट गई थी जिससे बस में आग लग गई थी। बस (एमपी 19 पी 0533) में कुल 40 लोगों की जान चली गई थी जिसमें चलती हुई बस में हाईटेंशन तार टकराने से आग लगी थी जांच में पता चला था कि बस में डिब्बे में भरकर डीजल भी रखा गया था और बस ही चिता बन गई थी इस मामले में पुलिस ने बस मालिक भाजपा नेता ज्ञानेंद्र पांडेय निवासी नागौद जिला सतना के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके अलावा बस फिटनेस और लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसके बाद आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।