Lucknow :सिसकती आंखें, जुबान पर दर्द, गलियों में सन्नाटा और हड्डी में तब्दील होतीं वो खुद…ये उन गलियों के पते हैं, जहां हर ख्वाहिशमंद रात के अंधियारे में दबे पांव शरीर का भूख मिटाने जाता है। इसी भूख से समाज के इन गुमनाम चेहरों की पेट की भूख भी मिटती है। कोलकाता का सोनागाछी इलाका, मुंबई का कमाठीपुरा, दिल्ली में जीबी रोड, नागपुर की तंग गलियां…ये वही पते हैं जो कोरोना काल से पहले गुलजार हुआ करते थे। कोरोना जब लगभग पूरी दुनिया को अपनी जद में ले चुका है और भारत में लॉकडाउन की वजह से जिंदगी अब ठहर सी गई है। इन गलियों में अब चारों तरफ अजीब सन्नाटा है। हर पदचाप शरीर में सिहरन पैदा करता है। हर कोई अपने घरों में कैद है। जेहन में कई सवाल हैं। इन सवालों के समंदर में एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर कैसे इन सेक्स वर्कर्स की जिंदगी कट रही है?
दिल्ली के रेडलाइट एरिया जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स इस मामले में कुछ खुशनसीब हैं। इस इलाके में 70 से अधिक कोठे हैं। आपदा की इस घड़ी में दिल्ली पुलिस उनके लिए किसी खुदा से कम नहीं है। यहां रहने वाली सेक्स वर्कर्स के लिए दिल्ली पुलिस रोजाना खाना पहुंचाती है। पास ही एक गुरुद्वारा है, जो इनकी मदद करता है। पर सभी सेक्स वर्कर्स की जिंदगी इतनी खुशमय नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक इनकी जिंदगी में लॉकडाउन रहेगा? क्या वो खुशियां उनकी जिंदगी में फिर दस्तक देगी