अगर आप नौकरी-पेशा हैं और आपकी सालाना सैलरी टैक्स में छूट की सीमा से ज्यादा है तो आप इस बात से अवगत होंगे कि कंपनियां जनवरी से ही आपकी सैलरी से ज्यादा TDS काटने लगती हैं। ऐसे में विभिन्न कंपनियों में दिसंबर-जनवरी से ही HR और अकाउंट्स सेक्शन आपसे इंवेस्टमेंट का साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित कर देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि जिस राशि के लिए आप निवेश दिखाते हैं, उसे आपकी सैलरी से कटने वाले टीडीएस में समायोजित यानी एडजस्ट कर दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि Income Tax Act के तहत आपको हर साल एक सीमा तक निवेश पर टैक्स से छूट मिलती है। आम तौर पर आपको निवेश के लिए ULIPs, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, ELSS mutual funds, PPF जमा, home loan, एजुकेशन लोन, ट्यूशन फीस, एलटीए और एचआरए से जुड़े साक्ष्य प्रस्तुत करने होते हैं।
आयकर अधिनियम की धारा 80 (C) के तहत छूट प्राप्त करने के लिए आपको इन फंड में निवेश का साक्ष्य प्रस्तुत करना पड़ सकता हैः
- LIC प्रीमियम की पेमेंट की रसीद
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश का साक्ष्य
- होम लोन की मूल राशि पर रिपेमेंट की रसीद
- National Saving Certificate (NSC) में निवेश से जुड़ा साक्ष्य
- दो बच्चों तक की ट्यूशन फीस
- पांच साल से अधिक समय की FD का साक्ष्य
- NPS एवं सुकन्या समृद्धि योजना में अंशदान का सबूत
- अपने या अपने आश्रितों के लिए ULIP के प्रीमियम के भुगतान की रसीद
- म्युचुअल फंड ईएलएसएस में निवेश का प्रुफ
ऐसे में अगर आपने अब तक पहले के Declaration के मुताबिक निवेश नहीं किया है और Income Tax की अधिक कटौती नहीं चाहते हैं तो आपको जल्द-से-जल्द निवेश करके ये दस्तावेज जमा करा देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर हो सकता है कि आपकी इन हैंड सैलरी टैक्स कटौती के बाद घट जाए, इससे आपके कई काम अटक सकते हैं क्योंकि एक बार टैक्स कट जाने के बाद आपको आयकर रिटर्न भरने के बाद आपको Refund मिलेगा। इसमें कई महीने लग सकते हैं।