42 लाख की करेंसी के साथ पकड़े गए भाई-बहन ने 2000 के नकली नोट असली कागज पर छापे थे। उन्हें ये पेपर कहां से मिला, देखिए अहम खुलासा। नए नोटों की करोड़ों की जाली करंसी के मामले की जांच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुरू कर दी है। यह जांच मोहाली पुलिस के आग्रह पर शुरू की गई है। असल में आरोपियों से बरामद जाली नोटों में जो कागज इस्तेमाल किया गया है, वह असली नोटों में इस्तेमाल किए जाने वाले कागज से बेहतर बताया जाता है।
पुलिस को आशंका है कि आरोपियों ने असली नोटों में इस्तेमाल किया जाने वाला कागज तो इस्तेमाल नहीं किया। मामले में आरोपी अभिनव, उसकी कजिन विशाखा और एक अन्य व्यक्ति पहले पकड़े जा चुके हैं, लेकिन अभी एक आरोपी प्रमोद का पकड़ा जाना बाकी है, जो आरोपी अभिनव का ड्राइवर था। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि जाली नोट स्कैन करने के लिए कागज का प्रबंध प्रमोद ही करता था। वह कागज कहां से लेकर आता था, यह उन्हें नहीं पता। पुलिस को आशंका है कि प्रमोद का मैसूर स्थित आरबीआई की प्रिंटिंग प्रेस में कोई लिंक हो। मोहाली पुलिस प्रमोद की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
अदालत में पुलिस ने कहा कि नोट छापने के लिए सरकार चार जगह से कागज मंगवाती है। इसमें मैसूर, कोलकाता, नासिक व देवास (मध्य प्रदेश) शामिल है। अब तक जांच में सामने आया है कि आरोपी मैसूर कागज मिल के संपर्क में था। ऐसे में मिल में किस स्तर पर सांठगांठ थी, इस बारे में पता लगाया जाएगा।