फाफामऊ घाट पर गंगा में कटान से कोरोना काल में रेत में दफनाए गए शवों के निकलने का सिलसिला जारी है। बुधवार को इस घाट पर रेत से तीन और शवों के बाहर आने की जानकारी मिलने के बाद नगर निगम प्रशासन की परेशानी बढ़ गई। पखवारे भर से चिताएं लगवाने में पसीना बहा रहे नगर निगम के अमले को इस दिन फिर कर्मकांड, श्राद्ध के साथ शवों का अंतिम संस्कार कराना पड़ा। इसी के साथ अब तक इस घाट पर रेत से निकले कुल 24 शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है।
गंगा में जलस्तर बढ़ने और फिर बारिश होने के बाद से पखवारे भर से फाफामऊ घाट पर रेत से शव बाहर देखे जा रहे हैं। गंगा में ये शव बहने न पाए, इसलिए नगर निगम की ओर से पहरेदारी की जा रही है और ऐसे शवों का विधिवत अंतिम संस्कार कराया जा रहा है। बुधवार को इस घाट पर रेत से तीन और शवों के बाहर आने की जानकारी मिली। सूचना मिलने के बाद नगर निगम फाफामऊ जोन के जोनल अधिकारी नीरज कुमार सिंह कर्मियों और मजदूरों के साथ मौके पर पहुंच गए। लकड़ी और कफन, रामनामी मंगाने के बाद हिंदू रीति से तीनों शवों की चिताएं लगाई गईं।
इस दिन भी जोनल अधिकारी ने शवों को मुखाग्नि दी। कहा जा रहा है कि गंगा में कटान का दायरा बढऩे से कोरोना काल के रेत में दबाए गए शव एक-एक कर बाहर आ रहे हैं। कटान की वजह से रेत हटती जा रही है और शव बाहर गंगा की धारा में लटकते जा रहे हैं। निगम के अफसरों का कहना है कि घाट पर कटान का दायरा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे और भी शव बाहर आ सकते हैं। इसलिए कि करीब पांच सौ मीटर किमी दायरे में शवों को जहां-तहां दबा कर छोड़ दिया गया है। लगातार शवों के बाहर आने से नगर निगम प्रशासन की चिंता में इजाफा हो रहा है। सबसे बड़ी चुनौती गंगा में शवों को बहने से रोकने की है। कहा जा रहा है कि रात को अगर कटान से शव गंगा में बहकर दूसरे इलाकों में पहुंचे तो फजीहत बड़ सकती है। इसलिए निगरानी बढ़ा दी गई है।