सभी घरों में अतिरिक्त भोजन बनाया जा रहा है, जिसे जनसेवा में तैनात कर्मचारियों-अधिकारियों और जरूरतमंदों तक स्वयं पहुंचा रहे हैं।
सड़क पर पुलिस जवान तो अस्पताल में डॉक्टर-नर्स अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसी विपरीत परिस्थति में इन लोगों का इस तरह मदद का हाथ बढ़ाना समस्या को कमतर करने का काम कर रहा है। हां, इसमें सूझबूझ भी बरत रहे हैं, शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखते हैं।इस पहल में महिलाएं भी अपनी भागीदारी बखूबी निभा रही हैं। शहर में करीब 100 परिवारों की महिलाओं द्वारा ड्यूटी पर तैनात जवानों और सार्वजनिक स्थलों पर बेसहारा बैठे जरूरतमंदों के लिए भी भोजन बनाया जा रहा है। रोजाना सुबह दो रोटी जवानों की तो दो रोटी जरूरतमंदों की.. यही इनका नारा है। फिर कुछ महिलाओं द्वारा घर-घर से रोटी कलेक्शन कर पुरुषों को दिया जा रहा है। वहीं, पुरुषों द्वारा अपने-अपने वाहनों से शहर में घूमकर प्रमुख चौक चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों और जरूरतमंदों तक ये रोटी और सब्जी पहुंचाई जा रही है।