Police Brutality: फल विक्रेता को पीटने से रोकने पर पुलिस ने युवक को भी पीटा, अधिकारी कर रहे घटना से इंकार

रायपुर। Police Brutality: राजधानी रायपुर में एक युवक से मारपीट करने का मामला इंटरनेट मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। युवक के पिता ने पुलिस पर बेटे की बेदम पिटाई करने का आरोप लगाया है। इस पूरे मामले पर पुलिस का बयान भी सामने आया है। पुलिस के आला अधिकारी सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। मामला सरस्वतीनगर इलाके का है, जहां कोविड प्रोटोकॉल के नियमानुसार रात आठ बजे फल दुकान को बंद कराया जा रहा था। इसी बीच अक्षत नामक युवक फल की दुकान के पास पहुंचा। युवक के मुताबिक, पुलिसकर्मी फल वाले को मार रहे थे। अक्षत ने पुलिसकर्मियों से कहा कि वह फल वाले के साथ मार-पीट न करें।

इससे नाराज होकर पुलिसकर्मियों ने उसकी पिटाई की। हालांकि, अब इस मामले में पुलिस ने सफाई देते हुए कहा है कि पुलिस सिर्फ युवक को समझा रही थी। युवक के पिता ने आरोप लगाया है कि थानेदार ने वर्दी का रौब दिखाते हुए उसके बेटे की सरेराह जमकर पीटा। इसके बाद पुलिस की गाड़ी में भरकर थाने ले गए और वहां भी उसकी पिटाई की गई।

युवक के पिता ने अपने बेटे के शरीर में चोट के निशान वाले फोटो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल किए हैं। वहीं पुलिस ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। पुलिस का कहना है कि यह सभी आरोप बेबुनियाद हैं। इस पूरे मामले में पुलिस अफसरों का कहना है कि शासन के आदेशानुसार सरस्वती नगर थाना पुलिस रोजाना आठ बजे सभी प्रतिष्ठानों को बंद कराने निकलती है।

इस दौरान अक्षत वहां पहुंचकर थाना प्रभारी एवं पुलिस के जवानों से आपत्तिजनक शब्दों में बहस करने लगा था। इसके बाद उस पर वैधानिक कार्रवाई करने के लिए थान ले जाया गया था। अक्षत के पिता द्वारा पुलिस पर जो भी आरोप लगाया गया उसका क्या प्रमाण है। इस तरह के बे बुनियादी आरोप पूरे तरीके से गलत है। पुलिस के पास पूरे कार्रवाई के संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध है।

अक्षत के पिता से पूछे कई सवाल

अगर पुलिस द्वारा वहां दुकान वालों से मारपीट की जा रही थी, तो क्या अक्षत ने उसका वीडियो बनाया? पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि उनके पुत्र को थाने में जबरदस्ती शराब पिलाई जा रही थी, अगर पुलिस ऐसा करती तो अक्षत पर कार्रवाई क्यों नही की, यदि पुलिस की नियत यही थी तो? अगर पुलिस ने उनके सामने ही थाने में अक्षत की पिटाई की, तो उन्होंने मौके पर ही इसका विरोध क्यों नही किया? मारपीट की शिकायत तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों से क्यों नही की गई? इंटरनेट मिडिया में घंटों बाद तस्वीर जारी करने का आशय क्या है? अगर अक्षत को चोटें आई थी, तो उसका सुपुर्तनामा क्यों लिया गया? तब ही इंकार करना था।

इसके साथ ही पुलिस ने यह सवाल भी किया कि इसके प्रमाण भी नहीं दिए कि चोट कैसे आई, थाने में आई या पूर्व की चोट है? अगर पुलिस की मंशा अक्षत पर जबरदस्ती कार्रवाई करने की थी और झूठे प्रकरण में फंसाने की थी, तो केस क्यों नहीं बनाया? अक्षत के पिता के पास क्या प्रमाण है कि उनके पुत्र को लगी चोट तात्कालिक है और उन्हें थाना में ही मारा गया है? आखिर क्यों पूरी घटना के 18 से 20 घंटे बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली गई है? पुलिस पर इस तरह के आरोप पूरे तरीके गलत है। पुलिस ने नियमानुसार पूरी कार्रवाई की है।

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