कानपुर के शिवराजपुर विकास खंड के उत्तरीपुरा निवासी मेवालाल ने सम्मान निधि के 16 हजार बैंक को वापस कर दिए हैं, क्योंकि सेवानिवृत्त कर्मचारी होने के नाते वह पेंशन पा रहे हैं, इसलिए अपात्र हैं। इसी तरह घाटमपुर की स्योड़ीललईपुर ग्राम पंचायत निवासी रामकुमार सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। वह पेंशन पाते हैं। उन्होंने सम्मान निधि के रूप में जो 16 हजार रुपये लिए थे वापस कर दिए हैं। भीतरगांव निवासी महेश प्रसाद सरकारी कर्मचारी हैं। अब तक वह भी योजना का लाभ ले रहे थे। उन्होंने 14 हजार की सम्मान निधि वापस की है।
ये केस तो बानगी हैं। अपात्रता के बावजूद सम्मान निधि योजना का लाभ लेने वाले 200 से ज्यादा किसानों ने जांच और कार्रवाई के डर से सम्मान निधि वापस कर दी है। उन्हें डर था कि गलत तरीके से योजना का लाभ लेने पर कृषि विभाग उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, क्योंकि विभाग लाभार्थियों की पात्रता का सत्यापन करा रहा है।
जिले में कई किसान अपात्र होने के बाद भी सम्मान निधि योजना का लाभ पाने में सफल रहे हैं। वहीं, हजारों ऐसे भी किसान हैं, जो पात्रता के बावजूद अभी तक सम्मान निधि का इंतजार कर रहे हैं। विभाग द्वारा पिछले साल के पांच फीसदी यानी 22040 और इस वर्ष के दस फीसदी यानी 11423 कुल 33463 लाभार्थियों को छांटकर कराए गए सत्यापन में 969 अपात्र मिले हैं। इसमें सरकारी नौकरी वाले, इन्कम टैक्स जमा करने वाले, मृतक और भूमिहीन लोगों द्वारा खुद को किसान बताकर योजना का लाभ लेने के मामले सामने आए हैं। उपनिदेशक अरुण चौधरी के मुताबिक, जो लोग गलत तरह से लाभ ले रहे हैं। मामला पकड़ में आने पर उनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई होगी।
ये माने गए अपात्र
खेती किसानी करने वाले मंत्री, सांसद, विधायक, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, इनकम टैक्स पेयर और 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसान अपात्र माने गए हैं। चतुर्थ श्रेणी या समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर केंद्र या राज्य सरकार में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को योजना का लाभ नहीं मिलेगा।