Opposition To Privatization: प्रदेश में विद्युत प्रणाली के निजीकरण का विरोध शुरू, श्रमिक संघ व संगठन एकजुट

Opposition To Privatization: छत्तीसगढ़ की विद्युत प्रणाली के निजीकरण के लिए किए जा रहे प्रयास का विरोध शुरू हो गया है। विभिन्न श्रमिक संघ-संगठनों के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर इसे राज्य के लिए अहितकारी बताया।

सभी संघ एवं संगठन ने एकजुटता के साथ प्रस्ताव दिया कि छत्तीसगढ़ राज्य में बिजली के क्षेत्र में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से निजीकरण संबंधी किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। बहुत से राज्यों में निजीकरण की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजर क्षेत्र को फ्रंेचाइजी में देने का प्रयोग भी असफल होगा।

छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल अभियंता संघ, विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन, विद्यूुत कर्मचारी संघ फेडरेशन, विद्युत कर्मचारी संघ महासंघ, पत्रोपाधि अभियंता संघ के पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से विरोध शुरू किया है। श्रमिक संगठन के पीएन.सिंह ने अपने पत्र में अवगत कराया है कि उत्तर प्रदेश में पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के निजीकरण के प्रयास को वापस ले लिया गया।

चंडीगढ़़ के विद्युत वितरण व्यवस्था को भी निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव निविदा निकालने के बाद वापस हो गया है। इसी प्रकार मध्यप्रदेश के उज्जैन, देवास, सागर, ग्वालियर में फ्रेंचाइजी का प्रयोग असफल हो गया तथा वहां की व्यवस्था पुनः शासन के वितरण कंपनी को संभालनी पड़ी।

महाराष्ट्र में नागपुर, अमरावती, भुसावल, औरंगाबाद में भी फ्रेंचाइजी का प्रयोग असफल हो चुका है। बिहार में भागलपुर, गया, मुज्जफरपुर में भी यह प्रयोग पूर्ण रूप से असफल हो गया है। समय-समय पर कुछ निजी कंपनियों के दलाल फ्रेंचाइजी के प्रयोग के लिए नए-नए फार्मूले प्रस्तुत करते रहते हैं, जो प्रयोग देश के विभिन्न स्थानों पर असफल हो चुका है। अब उसे छत्तीसगढ़ में थोपने का प्रयास हो रहा है।

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