नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मल्टी-ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री मंत्री पीयूष गोयल ने किराना स्टोर और खुदरा विक्रेताओं और व्यापारियों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां लुभावनी कीमतें (प्रीडेटरी प्राइसिंग) रखकर कारोबार करती हैं, उनके खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
वाणिज्य मंत्री गोयल ने बैठक में शामिल सभी कारोबारियों से पांच दिन के भीतर ई-कॉमर्स नीति के मसौदे पर सुझाव भेजने को कहा है। उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड यानी डीपीआईआईटी के पास आने वाले सुझावों को संज्ञान में लेने के बाद ही नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने व्यापारियों को उनके व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस और मुद्रा योजना का इस्तेमाल करने का आग्रह किया है।
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि बीटूबी के बहाने भी मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियों को कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर कोई कंपनी लुभावनी कीमतें रखकर कारोबार करती है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इस बीच कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) ने एक बयान जारी कर कहा है कि देश में ई-कॉमर्स कारोबार को नए सिरे से खड़ा करने और ई-कॉमर्स नीति को तुरंत लागू करने की आवश्यकता है।
सरकार ने एक मजबूत कदम उठाते हुए अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया है और नीति को उसके सही अर्थों में लागू करने पर सरकार पहल कर रही है। हालांकि नीति के अनुपालन की निगरानी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि किसी भी नियामक तंत्र की अनुपस्थिति में सरकार को देश में काम करने वाले ई-कॉमर्स पोर्टल्स की वास्तविक संख्या के बारे में बहुत कम जानकारी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी प्राधिकरण के साथ उनका पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। संगठन ने मांग की कि ई-बाजार के रूप में काम करने वाले वाणिज्य पोर्टलों का भारत में अनिवार्य रूप से एक कार्यालय होना चाहिए। साथ ही ई-कॉमर्स के मार्केट प्लेस और इन्वेंट्री मॉडल के बीच स्पष्ट अंतर होना चाहिए।