भोपाल : हड़ताल में तीसरे दिन बुधवार को बचे संविदा स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हो गए हैं जबकि एक दिन पहले मंगलवार शाम को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने हड़ताली कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से हड़ताल वापस लेने की बात कही थी। यह भी कहा था कि सेवाएं प्रभावित हुई तो मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ेगी।
एसीएस की चेतावनी का असर नहीं पड़ा है। बुधवार की हड़ताल अधिक प्रभावी है, क्योंकि दो दिन तक जो कर्मचारी कार्रवाई के डर से काम बंद करने में पीछे हट रहे थे अब उनका डर दो दिन की हड़ताल और उस पर शासन की तरफ से नहीं की गई कार्रवाई से खत्म हो गया है। शहर के जेपी व हमीदिया अस्पतालों में बीते दो दिन की तरह मरीज परेशान हो रहे हैं। जांचें प्रभावित हैं। टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। एसएनसीयू वार्ड की सेवाओं पर असर पड़ा है। शहरी टीकाकरण केंद्रों की हालत खराब है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह प्रभावित हो गई हैं।
संविदा स्वास्थ्यकर्मी संघ के प्रांतीय प्रवक्ता राकेश मिश्रा ने बताया कि संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की मंशा मरीजों को परेशान करने की बिल्कुल नहीं है लेकिन सरकार के पास नई योजनाओं को मंजूरी देने, उनके लिए बजट खर्च करने और दूसरे कामों के लिए समय और राशि दोनों हैं लेकिन मैदान में काम करने, बीमारियों को नियंत्रित करने में जुटे रहने और जान गंवाने वाले संविंद कर्मियों के लिए अपनी ही नीति का पालन करवाने का समय नहीं है। इस बार संविदा स्वास्थ्यकर्मी पीछे नहीं हटेंगे। भले सरकार कार्रवाई कर दें। यही बात संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन से जुड़े दूसरे संगठनों के पदाधिकारियों ने कही है।
अस्पतालों में ये काम भी प्रभावित
सुबह से जेपी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित है। जिला अस्पताल होने के कारण यहां करीब 300 संविदा स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं। इनमें से ज्यादातर हड़ताल पर आ गए हैं। वार्डों में मरीज परेशान है। काउंटरों से दवा वितरण प्रभावित है। लैब में जांचे नहीं हो रही हैं। कोरोना जांच केंद्रों पर सैंपल लेने की गति धीमी है।
– शहर में 50 से अधिक आयुष डॉक्टर हैं वे हड़ताल में शामिल है। इस वजह से मरीजों का इलाज प्रभावित है।
-अधिकतर कम्प्यूटर आॅपरेटर संविदा पर है। इनके काम बंद करने की वजह से मरीजों को योजनाओं का लाभ मिलने में देरी हो रही है।
– प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ज्यादातर डॉक्टर संविदा पर हैं, जो हड़ताल पर होने के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं।
– जिलों में एसएनसीयू हैं जहां सपोर्ट स्टॉफ काम करते हैं। इनकी संख्या 2500 है। ये हड़ताल कर रहे हैं इसलिए नवजात बच्चों की देखरेख प्रभावित हो रही है।
ये मांगे हैं वजह
– संविदा नीति 2018 लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसमें संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित पदों का 90 फीसद वेतन देने की बात है।
– भर्तियों में संविदाकर्मियों को 20 फीसद आरक्षण देने की मांग है।
– सपोर्ट स्टॉफ की सेवाएं आउटसोर्स से हटाकर संविदा पर लेने की मांग है।