पीडीए ने हाई कोर्ट में कमिश्नर के आदेश को चुनौती थी जिस पर कोर्ट ने विपक्षी को ध्वस्तीकरण की नोटिस तामील होने पर संदेह व्यक्त करने के कमिश्नर के आदेश को सही नहीं माना है. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीडीए के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.
बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के विजय टावर के ध्वस्तीकरण के मामले में हाई कोर्ट से पीडीए को झटका लगा है. कोर्ट ने ऐसे ध्वस्तीकरण नोटिसों का ब्यौरा मांगा है जिन नोटिसों पर तीन साल बीत जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा कि नोटिसों पर कार्रवाई न होने पर अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए.
पीडीए ने हाई कोर्ट में कमिश्नर के आदेश को चुनौती थी जिस पर कोर्ट ने विपक्षी को ध्वस्तीकरण की नोटिस तामील होने पर संदेह व्यक्त करने के कमिश्नर के आदेश को सही नहीं माना है. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीडीए के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.
कोर्ट ने पूछा है कि ध्वस्तीकरण के कितने ऐसे नोटिस जारी किए गए हैं जिन पर तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण में अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण नोटिस जारी कर कोई कार्रवाई न करने का चलन बना हुआ है. कोर्ट ने कहा कि विपक्षी स्वयं ही अवैध निर्माण हटाने के लिए तैयार है ऐसे में वह छह हफ्ते में भवन को नक्शे के अनुसार कायम करने के लिए अवैध निर्माण हटा ले.
जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र की एकल पीठ ने यह आदेश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होनी है. इस सुनवाई में कोर्ट पीडीए के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने पर विचार करेगी.
दरअसल, प्रयागराज के अल्लापुर स्थित विजय टावर के अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण को लेकर पीडीए ने 12 दिसम्बर 2007 को नोटिस जारी किया था. इस मामले में 13 साल तक कोई कार्रवाई नहीं गयी और अचानक ध्वस्तीकरण करने पहुंचे तो विपक्ष की तरफ से चुनौती दी गई.
हाई कोर्ट ने कमिश्नर के समक्ष अपील पर अंतरिम अर्जी तय होने तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी, कमिश्नर ने पीडीए की 13 साल पहले जारी नोटिस के तामिल होने पर संदेह प्रकट किया था अब कमिश्नर कोर्ट ने पीडीए को नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है जिसे पीडीए की ओर याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है.