Makar Sankranti 2021। मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा काफी सालों से चली आ रही है। इस दिन खिचड़ी का विशेष महत्व है। इतिहास विद डॉ.आनंद सिंह राणा ने बताया कि मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने की शुरूआत जबलपुर शहर से ही सतयुग में हुई थी। त्रिपुरी में युद्ध के बाद जब शैव मत की स्थापना हुई। तब महादेव की प्रिय खिचड़ी को बनाया गया। सभी अन्नाों को मिलाकर खिचड़ी बनाई गई जिसे महादेव को समर्पित किया गया। मकर संक्रांति के दिन हर घर में खिचड़ी और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। रिश्तेदारों को आमंत्रित किया जाता है। खिचड़ी का शहर से जुड़ा अपना एक अलग इतिहास है। खिचड़ी एक ऐसा व्यंजन है जो परंपरा और सेहत, दोनों से जुड़ा है। चाहे अमीर हो या गरीब, खिचड़ी सबका पसंदीदा खाना है। खिचड़ी को व्यंजनों का राजा बताया गया है। इसमें चावल, दाल, हरी सब्जियां और सीमित मात्रा में मसाले रहते हैं। जिससे ये टेस्टी और हेल्दी होती है। खिचड़ी बहुत कम खर्च में और कम वक्त में बन जाती है। मकर संक्रांति के अवसर पर माश (उड़द की दाल) और चावल की खिचड़ी प्रसाद के समान मानी जाती है।
इस तरह हुई खिचड़ी की शुरूआत- महादेव के सुपुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया। तारकासुर के तीन पुत्रों ने तारकाक्ष, कमलाक्ष, विद्युन्माली ने बदला लेने के लिए ब्रम्हा की तपस्या की और अजीब सा वरदान मांगा। तीन अभेद्य नगरी स्वर्णपुरी, रजतपुरी, लौहपुरी जो आकाश में उड़ती रहें और हजार वर्ष बाद ही एक सीध में आएं। तभी उनका और हमारा विनाश होगा। ब्रम्हा ने तथास्तु तो कह दिया फिर क्या था इन तीनों का तीनों लोकों में तांडव शुरू हुआ। ये तीनों पुरी मूल रूप से त्रिपुरी (जबलपुर) में ही रहतीं और काल गणना के अनुसार हजार वर्ष बाद त्रिपुरी (जबलपुर) में ही एक सीध में आना तय था।
मयदानव और विश्वकर्मा ने यह बताया फिर अभी तक का सबसे अनूठा युद्ध हुआ चित्रानुसार महादेव के लिए एक रथ तैयार हुआ। जिसमें सूर्य और चंद्रमा रथ के पहिये बने। अश्व के रूप में इंद्र, यम, कुबेर, वरुण, लोकपाल बने। धनुष पिनाक के साथ हिमालय और सुमेर पर्वत, डोर के रूप वासुकी और शेषनाग, बाण मंे भगवान विष्णु और नोक में अग्नि आए। इसके बाद महादेव ने श्रीगणेश का आव्हान किया और पशुपत अस्त्र से तीनों पुरियों को एक सीध में स्थापित कर एक ही बाण से विध्वंस कर दिया। त्रिपुरी में शैव मत की स्थापना हुई। युद्ध नवंबर, दिसंबर के दौरान हुआ। जिसके बाद मकर संक्रांति पड़ी। खिचड़ी महादेव की प्रिय है। इस मौके पर महादेव को अन्नाों को मिलाकर बनी खिचड़ी समर्पित की गई। इस दिन महादेव को तिल भी चढ़ाई जाती है।