देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाह दिवस यानि महाशिवरात्रि व्रत कृष्ण त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी गुरुवार को शिव तथा जयद योग के युग्म संयोग एवं धनिष्ठा नक्षत्र में मनाई जाएगी। श्रद्धालु व्रत, पूजा और पाठ के साथ जलाभिषेक व रुद्राभिषेक कर शिव-पार्वती की कृपा पाएंगेI चारों पहर भोलेनाथ की होगी पूजा। मंदिरों में दिन भर भक्तों द्वारा जलाभिषेक, रुद्राभिषेक के बाद संध्या बेला में शिव शृंगार किया जायेगा। भगवान शिव का व्रत करने से सौभाग्य, समृद्धि व संतान की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि को श्रद्धालु रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर, शिव तांडव, शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ कर भोलेनाथ को प्रसन्न करेंगे। शिव व शक्ति के मिलन के इस पर्व को करने से वैवाहिक जीवन में सुख तथा आनंद मिलता है।
शिव आराधना से चन्द्र होंगे सबल
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि आज शिवरात्रि पर शिव योग होने से अति पुण्यकारी संयोग बन रहे हैं। इस दिन जयद योग के साथ धनिष्ठा में शिव की आराधना सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाला है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की अराधना बहुत ही फलदायी मानी जाती है। भक्तिपूर्वक आराधना से श्रद्धालुओं का चंद्र सबल होता है।
सहस्र अश्वमेघ व सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ का फल
पंडित गजाधर झा ने कहा कि महाशिवरात्रि पर शुभ संयोग में शिव व्रत और पूजन से अखंड सौभाग्य और मनचाहे वरदान की प्राप्ति होगी। सूर्य पुराण के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने निकलते हैं। इसीलिए इस दिन पूजन से सालभर के शिवरात्रि के समान पुण्य मिलता है। शिवरात्रि की पूजा करने से श्रद्धालुओं को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ तथा सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था।
शिवरात्रि को ही शिवलिंग का प्रादुर्भाव
आचार्य राकेश झा के अनुसार महाशिवरात्रि पर सूर्यास्त के बाद चारों प्रहर में शिव-पार्वती का जागरण करना चाहिए। पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और अंतिम प्रहर में शहद से अभिषेक करना चाहिए। उन्होंने शिवपुराण के हवाले से बताया कि शिवरात्रि के ही दिन शिवलिंग का पृथ्वी पर प्रादुर्भाव हुआ था।
महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व
पंडित झा ने ईशान संहिता के हवाले से बताया कि ‘फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:। तत्कालव्यापिनी ग्राह्या
शिवरात्रिव्रते तिथि:।’
पूजन का शुभ मुहूर्त
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : मध्य रात्रि 12:06 से 12:55 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:36 बजे से 12:23 बजे तक
गुलीकाल मुहूर्त : सुबह 9:02 बजे से 10:31 बजे तक
12 मार्च को पारण : सुबह 6:07 बजे के बाद