Mahakal Temple Ujjain:उज्जैन धर्मधानी उज्जयिनी में सूर्य के उत्तरायन होने का पर्व मकर संक्रांति उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। राजाधिराज महाकाल के आंगन में सबसे पहले त्योहार मना। तड़के 4 बजे भस्मारती में पुजारी भगवान महाकाल को तिल से स्नान कराया और लड्डुओं का भोग लगाया। इससे पहले बुधवार शाम गर्भगृह और नंदीहॉल को पतंगों से सजाया गया। संक्रांति पर नगरवासी शिप्रा-नर्मदा के जल में आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य भी कर रहे हैं।
महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार मकर संक्रांति पर तड़के भस्मारती में भगवान महाकाल को तिल से स्नान कराया गया। पश्चात नवीन वस्त्र व आभूषण से आकर्षक श्रृंगार हुआ। भगवान को भस्म रमाने के बाद तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर आरती हुई। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में मकर संक्रांति पर पतंग सज्जा की गई है।
दान का विशेष महत्व
ज्योतिर्विद पं. अमर डब्बावाला के अनुसार मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थ स्नान के बाद वैदिक ब्राह्मणों को तिल गुड़ के साथ वस्त्र व दक्षिणा भेंट करना चाहिए। गायों को चारा, पक्षियों को दाना तथा भिक्षुकों को भोजन कराना धर्मसम्मत माना गया है।
शिप्रा में आया नर्मदा का जल
संक्रांति पर पर्व स्नान के लिए शिप्रा नदी में नर्मदा का मिलियन क्यूबिक मीटर (2 एमसीएम) पानी लाया गया है। श्रद्धालु नर्मदा-शिप्रा के जल से पर्व स्नान करेंगे। व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए बुधवार को कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र शुक्ला रामघाट पर पहुंचे। उन्होंने दौरा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
सूर्य देव की सवारी निकलेगी
त्रिवेणी संगम स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में मकर संक्रांति पर सूर्य देव की सवारी निकली जाएगी। सवारी में 51 बटुक व 11 ब्राह्मणों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। पश्चात पंडितों द्वारा सूर्य व शनि के मंत्रों से हवन किया जाएगा। संयोजक कृष्णा गुरुजी ने बताया मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायन के साथ रिश्तों में मधुरता का पर्व है। इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। इस प्रसंग को जीवंत बनाने के लिए त्रिवेणी संगम पर पुत्र शनि के घर पिता सूर्य की सवारी निकाली जाएगी।