kisan n‍yay yojna: इस वर्ष नौ हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से होगा न्याय योजना के तहत किसानों को भुगतान

रायपुर, राज्य ब्यूरो। kisan n‍yay yojna: राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इस वर्ष धान उत्पादक किसानों को नौ हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से आदान सहायता राशि (इनपुट सब्सिडी) दी जाएगी। सरकार अब इसी दर से हर वर्ष भुगतान करेगी। पिछले वर्ष 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से भुगतान किया गया था।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल योजना की पहली किस्त के रूप में 22 लाख किसानों को 15 सौ करोड़ रुपये की पहली किस्त देंगे। राज्य सरकार ने इस वर्ष से राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसानों के हित में कुछ बदलाव किया है।

वर्ष 2020-21 में जिन किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान का विक्रय किया था, वह यदि धान के बदले कोदो कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टिफाइड धान की फसल उत्पादित करते हैं या पौधरोपण करते हैं तो उसे प्रति एकड़ 10,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी।

पौधारोपण करने वालों को तीन वर्षों तक यह अनुदान मिलेगा। राज्य सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत खरीफ वर्ष 2021-22 में धान के साथ ही खरीफ की सभी प्रमुख फसलों मक्का, सोयाबीन, गन्ना, कोदो कुटकी तथा अरहर के उत्पादकों को भी प्रतिवर्ष नौ हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी दी जाएगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने कोदो-कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सरकार की बहुआयामी गोधन न्याय योजना के तहत राज्य के करीब 72 हजार पशुपालकों व ग्रामीणों को 15 मार्च से 15 मई तक गोबर खरीदी के एवज में सात करोड़ 17 लाख रुपये की राशि सीधे उनके खाते में भी अंतरित करेंगे।

20 जुलाई 2020 हरेली पर्व के दिन से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के तहत राज्य के पशुपालकों व ग्रामीणों को अब तक कुल 88 करोड़ 15 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बघेल गोठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 3.6 करोड़ रुपये की राशि का भी अंतरण करेंगे।

इस वजह से शुरू की गई योजना

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से 2500 रुपये क्विंटल की दर से धान खरीदने का वादा किया था। केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य पर दिए जा रहे बोनस पर आपत्ति करते हुए राज्य से चावल लेने से इन्कार कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने किसानों से किया अपना वादा पूरा करने के लिए इस योजना की शुरुआत की है।

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