International Womens Day: लाकडाउन के शुरुआती दौर में जब कोरोना देश के साथ ही प्रदेश में तेजी के साथ पैर पसार रहा था। उस वक्त चाराें तरफ भय का वातावरण भी बनने लगा था। सड़कें सूनी थीं। जहां तक नजरें जाती थी सन्नाटा ही सन्नाटा। उस दौर में डिप्टी कलेक्टर अंशिका पांडेय ने उन अधिकारियों में से हैं जिन्होंने संकट के दौर में लोगों की सलामी के लिए बढ़चढ़कर काम किया।
श्रमिकों की वापसी के दौरान उनकी भूमिका खास रही। यही वह दौर था जब संक्रमण भी तेजी के साथ बढ़ रहा था। पल-पल और कदम-कदम में संक्रमण का खतरा भी था। इसके बाद भी वे अपने कर्त्तव्य पथ से नहीं डिगी। श्रमिकों की वापसी के दौर में वह संक्रमित भी हो गई। पति भी संक्रमण के शिकार हो गए। काम के प्रति लगन ऐसी कि संक्रमण से ठीक होन के बाद एक फिर काम पर लौट आईं।
लाकडाउन के दूसरे चरण में जब सड़क से लेकर रेल मार्ग तक यातायात बंद था। कारखानों में तालाबंदी हो चुकी थी तब देश के अलग-अलग प्रांतों में खाने कमाने गए श्रमिक स्वजनों सहित पैदल लौट रहे थे। उसी दौर में राज्य सरकार ने श्रमिकों की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई।
ट्रेन से आने वाले श्रमिकों को उनके गांव तक पहुंचाने और गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखने की व्यवस्था अंशिका संभाल रही थीं। रेलवे स्टेशन में तब चाक चौबंद व्यवस्था भी थी। तब कोरोना का भयावह दौर चल रहा था। अफसर भी स्टेशन जाने से कतराते थे।
उस समय अंशिका स्टेशन में न केवल डंटी रहती थीं वरन श्रमिकों को उनके गांव तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था करना और शहर के क्वारंटाइन सेंटरों की निगरानी का काम भी बखूबी कर रही थीं। श्रमिकों की वापसी के दौरान ही वे कोरोना की चपेट में आ गईं और संक्रमित हो गई। पति भी संक्रमित हो गए।
पति रेलवे में आला अफसर के पद पर पदस्थ हैं। संक्रमण के दौर में दोनों अपने सरकारी आवास में ही क्वारंटाइन हो गईं। 17 दिनों के बाद जब स्वस्थ हो गईं तब एक बार फिर वे काम पर लौट आईं। कोरोना संक्रमण से बचने और सावधानी बरतने लोगों को लगातार जागरूक कर रही हैं।
अब ओआइसी की संभाल रही जिम्मेदारी
केंद्र सरकार के निर्देश पर कोरोना वारियर्स और बुजुर्गों को वैक्सीनेशन लगाया जा रहा है। कलेक्टर डा.सारांश मित्तर ने अंशिका पांडेय को वैक्सीनेशन के कार्य की निगरानी के लिए ओआइसी की जिम्मेदारी सौंप दी है। अंशिका इस जिम्मेदारी को भी भलीभांति संभाल रही हैं।