Humanity Shaming: ओडिशा के नुआपड़ा जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है। मंगलवार की रात जिले के सिनापाली स्वास्थ्य केंद्र में एम्बुलेंस नहीं मिलने पर पिता का शव ले जाने के लिए पुत्र भटकता रहा। जब एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं हो सकी, तब पुत्र ने बाइक पर पिता का शव बांधकर घर ले गया।
जानकारी अनुसार बोडेन ब्लॉक अंतर्गत करंगमाल गांव निवासी 60 वर्षीय जुगल किशोर माझी को मंगलवार शाम चार बजे सांस लेने में दिक्कत होने लगी और तबियत बिगड़ गई। परिजन उसे सिनापाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। वहां जुगल का कोरोना टेस्ट किया गया। रिपोर्ट आने के पहले ही उसने शाम करीब छह बजे दम तोड़ दिया। बाद में रिपोर्ट नेगेटिव आई।
परिजनों का आरोप है कि जुगल को आक्सीजन नहीं दिया गया। इस वजह से उनकी जान चली गई। मृतक के परिजन अस्पताल के कर्मचारियों से गुहार लगाते रहे कि मृत का शव ले जाने के लिए कोई व्यवस्था कर दी जाए, किंतु उन्हें निराशा ही हाथ लगी। देर रात पुत्र ने पिता का शव बाइक में बांधकर 20 किलोमीटर दूर अपने गांव लेकर गया।
मृतक के दोनों पैर आपस में बांध दिए गए और बाइक के बीच में शव रख घर ले जाया गया। एक ओर सरकार अंतिम छोर पर बसे गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे कर रही है। वहीं, यह घटना सारे दावों की पोल खोल रही है। इधर, इस मामले में सिनापाली स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. संदीप नायक का कहना है कि घटना के समय उपस्थित डॉक्टर ने उन्हें बाइक पर शव ले जाने से रोकने की कोशिश की। किंतु वें नहीं माने।
एम्बुलेंस मरीज को लेकर गई थी। एक निजी वाहन की व्यवस्था की जा रही थी। उनके जाने के पांच मिनट बाद गाड़ी अस्पताल पहुंच गई थी। वहीं, इस घटना पर जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर काली प्रसाद बेहेरा ने कहा कि बुधवार सुबह वरिष्ठ चिकित्सक डाक्क्टर मल्लिक के नेतृत्व में एक टीम घटना की जांच के लिए बनाई गई है। जांच के बाद ही पूरा मामला साफ होगा।