Gwalior corona virus news: कोरोना महामारी काफी विकराल रूप ले चुकी है। अस्तपालों में पलंग कम पड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कोरोना से मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में निजी अस्पतालों में मरने वाले मरीजों को बिना पीपीई किट के चादर में लपेटकर मुक्तिधाम भेजा जा रहा हैं। इसके कारण मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करा रहे कर्मचारी भी संक्रमण के डर के साये में हैं।
लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में अभी तक कोरोना महामारी से मरने वालों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, लेकिन वहां पर गैस शवदाह में सभी शवों के दाह संस्कार नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में निगम कर्मचारियों ने चबूतरे के नीचे अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया है, लेकिन समस्या सबसे अधिक निजी अस्पतालों से आ रही है। निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीज की इलाज के दौरान मौत होने के बाद उन्हें बिना पीपीई किट पहनाए लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए भेज रहे हैं। इससे मृतक के शरीर को छूने से वहां पर अंतिम संस्कार में लगे निगम कर्मचारियों को भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है।
एंबुलेंस से चिता तक लाते हैं कर्मचारीः अस्पताल से शव को एंबुलेंस के जरिए मुक्तिधाम भेज दिया जाता है। इसके बाद वहां पर निगम कर्मचारी शव को उठाकर चिता तक ले जाते हैं। वहां पर मृतक के स्वजन को पीपीई किट पहनाकर उनसे अंतिम संस्कार की रस्म पूरी कराई जाती है। एंबुलेंस से चिता तक लाते समय बिना पीपीई किट पहने शव को छूने व उठाने के दौरान कर्मचारियों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
36 घंटे बाद निगम ने उठावाया डेडबॉडी बैगः थाटीपुर निवासी सुनील पटेरिया ने बताया किकोरोना संक्रमित नरेंद्र अग्रवाल की सुपर स्पेशियलिटी में सोमवार को मौत हुई। उनका शव डेडबॉडी बैग में पैक कर स्वजनों को अस्पताल प्रबंधन ने सौंप दिया। स्वजन शव को लेकर घर आए ,जहां पर बॉडी बैग से निकाल कर बैग खुले में फेंक दिया। मंगलवार की दोपहर अर्थी निकालकर मुरार मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया। इसकी शिकायत इंसीडेंट कमांडर से भी की। तब बुधवार को निगम का अमला आया और बैग उठाकर ले गया। प्रशासन की लापरवाही से पूरा मोहल्ला दहशत में है।
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शवों को बिना बैग के भेजना गलत है, इससे दूसरे लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। जिन अस्पतालों द्वारा ऐसा किया जा रहा है उनकी जांच कराई जाएगी और उन पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इस विषय की जानकारी जिला प्रशासन को भी दी जाएगी।