Gorakhpur : गोरखपुर में हाई अलर्ट, संवेदनशील स्थानों पर पैनी नजर

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शुक्रवार को कोतवाली क्षेत्र में हुई पत्थरबाजी की घटना से सतर्क प्रशासनिक अफसर रविवार को भी पूरी तरह अलर्ट रहे। मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर व जिलाधिकारी के.विजयेंद्र पाण्डियन हर पल की जानकारी ले रहे थे। नखास, घंटाघर, रेती, शाहमारूफ समेत अन्य संवेदनशील इलाकों में एडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट उमेश मिश्र व तहसीलदार सदर डॉ. संजीव दीक्षित भारी पुलिस बल के साथ गश्त करते रहे। कही से किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली और दुकानें खुलने से माहौल सामान्य रहा।

एडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रथमेश कुमार ने बताया कि सभी बाजार खुले हुए थे और पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू है। इसलिए लोगों को समूह में घूमने के लिए मना किया जा रहा है। लोगों को अफवाहों से बचने की सलाह दी जा रही है, जो भी संवेदनशील जगह है वहां पर विशेष नजर रखी जा रही है। किसी भी जगह चार से उससे अधिक लोगों को एकत्र होने की इजाजत नहीं दी जा रही है।

स्थिति सामान्य है। संवेदनशील जगहों की लगातार निगरानी की जा रही है। सेक्टर व जोनल मजिस्टे्रट समेत सभी अधिकारी मुस्तैदी से तैनात हैं। फोर्स को भी अगले 48 घंटों के लिए हाई अलर्ट पर रखा गया है। शांति-व्यवस्था स्थापित करने के सभी यथोचित कदम उठाए जा रहे हैं। शनिवार को एडीजी जोन जयनारायण सिंह के साथ संवदेनशील जगहों का निरीक्षण किया गया है। सोशल मीडिया की भी निगरानी कराई जा रही है।

क्या है धारा 144

कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानी सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जिले के प्रशासनिक अधिकारियों (डीएम, एसडीएम या एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट) को यह अधिकार मिलता है कि वो कानून-व्यवस्था बिगडऩे पर राज्य सरकार की ओर से एक आदेश जारी कर अपने क्षेत्र में इस निषेधाज्ञा को लागू कर सकते हैं। इसके अनुसार चार या चार से ज्यादा लोगों को एक स्थान पर एकत्र होने की इजाजत नहीं होती है यानी कि आप एक क्षेत्र विशेष में प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। अधिकारी धारा 144 का प्रयोग कानूनों के उल्लंघन की आशंका होने पर भी कर सकते हैं। इसका मतलब प्रदर्शन स्थल पर भीड़ के जमा होने से पहले भी वहां धारा 144 का प्रयोग किया जा सकता है।

निषेधाज्ञा की अवहेलना करना कानूनन जुर्म

वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन त्रिपाठी के अनुसार यह कानून राज्य सरकारों और स्थानीय पुलिस को कई विवेकाधीन अधिकार भी देता है। लोगों की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था व संभावित खतरों का हवाला देकर इस निषेधाज्ञा का उपयोग किसी एक व्यक्ति को प्रतिबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है। निषेधाज्ञा की अवहेलना करना कानूनन जुर्म है। कई जगहों पर धारा 144 के तहत ही फोन नेटवर्क, केबल सर्विस और इंटरनेट भी बंद करा दिए जाते हैं।

समर्थन में निकाला जुलूस

शनिवार को नागरिक संशोधन कानून के समर्थन में जंगल कौडिय़ा में हिंदूवादी संगठनों ने जुलूस निकालकर, भारत माता की जय के नारे लगाकर नए कानून के प्रति लोगों को जागरूक किया। नेतृत्व हिंदूवादी नेता अविनाश पांडेय ने किया। जुलूस चिउटहा गांव से लेकर जंगल कौडिय़ा समय माता मंदिर तक निकला। नुक्कड़ सभा का आयोजन कर लोगों को कानून के विषय में विस्तार से बताया। इस अवसर पर बीके विश्वकर्मा, नारद मुनि, श्रवण कुमार, दुर्गेश गुप्ता, नरसिंह लाल, लालमन, सुरेंद्र निषाद, लालचंद, श्रीकांत मिश्र, जुगुल किशोर, मिलन, हरिलाल व राधेश्याम सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।

 

Posted By: Ashok Kumar Gupta

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