विक्रमशिला पुल के पश्चिमी तट स्थित दियारा में जमे सिल्ट को निकालकर गंगा को और गहरा बनाने की योजना पर काम चल रहा है। दियारे में जमे सिल्ट को जल्द ही मशीन से ड्रेजिंग कर निकाला जायेगा, ताकि गंगा इतनी गहरी हो सके कि यहां से मालवाहक बड़े जहाजों का आवागमन हो सके। इस योजना के पूरी होने के बाद बनारस से लेकर कोलकाता तक गंगा नदी के जरिये बड़े जहाजों से माल ढुलाई होने लगेगी। इससे जलमार्ग से होने वाले कारोबार में वृद्धि होगी।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाये गये योजना के तहत विक्रमशिला पुल के पश्चिम दिशा में करीब एक किमी दूर स्थित दियारा में जमे सिल्ट को साफ किया जायेगा। इसके लिए प्राधिकरण द्वारा अमरीपुर विशुनपुर गांव के पूर्वी हिस्सा स्थित बैरिया धार को काटकर रास्ता बनाया जायेगा। बैरिया धार में तीन महीने बारिश के समय काफी पानी का बहाव था, लेकिन अब इस क्षेत्र में पानी जमा है। बीच में बड़ी संख्या में सिल्ट जमा हो गया है, जिसे काटकर भागलपुर के मुख्य घाट से जोड़ा जायेगा। धार में करीब 90 प्रतिशत से ज्यादा साफ पानी जमा है। अगर यह योजना सफल रही तो बरारी वॉटर वर्क्स को साल भर नदी का पानी उपलब्ध होने लगेगा। आजकल विक्रमशिला पुल के नीचे उत्तर दक्षिण दिशा में राघोपुर स्थित महादेवपुर घाट और बरारी पुल घाट के पास काम चल रहा है। इस इलाके में जलमार्ग प्राधिकरण को खासा मशक्कत करनी पड़ रही है। कारण, यहां की मिट्टी बहुत सख्त है। वहीं कम क्षमता वाली मशीन को लगाने के कारण यहां पर काम की रफ्तार बहुत ही धीमी है।
चलेंगे बड़े जहाज, व्यापार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
जलमार्ग को बनाने से इलाहाबाद से हावड़ा तक सामान की ढुलाई आसान हो जाएगी। साथ ही आमलोगों को व्यापार करने में भी आसानी होगी। जलमार्ग से माल ढुलाई शुरू होने से ट्रेन और सड़क से भीड़ भी कम हो जाएगी। भागलपुर से जुड़े हुए बांका, गोड्डा, दुमका के अलावा अन्य जिलों के व्यापारियों को विकल्प के तौर पर एक नया साधन मिलेगा। वहीं, गंगा में जहाज चलने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
भागलपुर में मालवाहक जहाजों की आवाजाही बढ़े, इसे लेकर नवगछिया और भागलपुर के बीच जमी मिट्टी और सिल्ट को हटाने का काम किया जा रहा है, जहां से नदी की धारा लाई जाएगी। यहां पर बिजली कंपनी ने बिना अनुमति के दर्जनों की संख्या में खंभे और हाईटेंशन लगा दिया है। इसे हटाने को लेकर बिजली कंपनी को पत्र लिखा गया है। पोल और तार हटाने के बाद और तेजी से काम किया जाएगा। – प्रशांत कुमार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण