Duty With Protection: ड्यूटी के दौरान सीधे यात्रियों के संपर्क में आने वाले टीटीई को कोेरोना संक्रमण से बचाने के लिए रेलवे ने बेहतर उपाय किया है। सभी को एक मैग्नीफाइंग ग्लास (आवर्धक लेंस) दिया है, ताकि ट्रेन व स्टेशन में बिना हाथ में लिए टिकट की जांच कर सकें। इस लेंस को रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेल मंडल में 320 टीटीई हैं। उनमें से आधे प्लेटफार्म पर तैनात हैं और शेष की ड्यूटी अलग-अलग ट्रेनों में लगाई जाती है। कोरोना महामारी को देखते हुए सुरक्षा के लिए सभी को फेश शील्ड, मास्क व दस्ताने दिए गए हैं। इन उपायों के बाद भी ट्रेन के टीटीई टिकट जांचने के दौरान यात्रियों के सीधे संपर्क में आते थे। यही वजह है कि शुरुआती दौर में कई टीटीई संक्रमण की चपेट में आ गए।
तब रेलवे ने महसूस किया कि टीटीई को जांचने के लिए यात्री का टिकट हाथ में लेना पड़ रहा है, जिससे संक्रमण फैल रहा है। बिलासपुर रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक पुलकित सिंघल ने बताया कि खतरे को देखते हुए रेलवे ने सभी टीटीई को सुरक्षा के अन्य उपायों के साथ मैग्नीफाइंग ग्लास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। इस लेंस की मदद से दूर से ही टिकट में छपे छोटेे अक्षर साफ नजर आते हैं। इस व्यवस्था के बाद टीटीई भी राहत महसूस कर रहे हैं।
बिना कंफर्म टिकट कर लेते थे सफर
पहले संक्रमण से बचने के लिए कुछ टीटीई टिकट को हाथ में लेकर जांच करने से कतराते थे। ऐसे में टिकट की सही तरीके से जांच नहीं हो पाती थी। इसका फायदा उठाकर वेटिंग टिकट वाले कुछ यात्री भी सफर कर लेते थे। जबकि कोरोना को देखते हुए केवल कंफर्म टिकट वालों को यात्रा की अनुमति है।