नई दिल्ली:
दिल्ली के मटियाला विधानसभा में बीजेपी उम्मीदवार राजेश गहलोत एक-एक करके सीएम केजरीवाल के गंदा पानी और डीटीसी बसों पर नाकामी गिनाते हैं. पालम रोड के महिला पार्क में बैठी करीब एक हजार जनता उदासीनता से सुन रही. अचानक अमित शाह के आने की खबर मिलती है और भीड़ का रेला अपनी कुर्सी से खड़ा हो जाता है. बीस मिनट के भाषण में केजरीवाल के काम पर अमित शाह सात से आठ मिनट बोलते हैं और बाकी का वक्त राम मंदिर, CAA, इमरान खान और पाकिस्तान को घेरने पर बीतता है. वो भीड़ की ओर सवाल उछालते हैं, ‘आज भी निर्लज्ज होकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष भाई कहते हैं कि हम शाहीन बाग के साथ हैं. आप लोग बोलें कि हम CAA के साथ हैं.’ शाह ने आगे कहा, ‘मित्रों! इन्होंने दिल्ली की शांति को तोड़ने का काम किया है दिल्ली में दंगा कराने का काम किया है ये शासन में आए तो दिल्ली सुरक्षित रहेगी क्या? जो दंगा कराना चाहते हैं उन्हें शासन में रहने का अधिकार है या नहीं.? भीड़ चिल्लाती है नहीं….नारेबाजी करते हुए लोगों की आंखों में चमक आ जाती है…
फ्लोटिंग वोटर पर नजर
बीजेपी की कोशिश है कि बड़े नेताओं की ऐसी ही छोटी नुक्कड़ सभाएं कराकर CAA और शाहीन बाग जैसे प्रदर्शनों का खौफ दिखाकर 7 से 10 फीसदी फ्लोटिंग वोटर को बीजेपी के पाले में खींचा जाए..दिल्ली में बीते तीन विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट बैंक 32 फीसदी से लेकर 36 फीसदी पर टिका है. बीजेपी की रणनीति है कि अगर फ्लोटिंग वोटर उनके खाते में आ जाए तो 40 फीसदी का आंकड़ा पार करते ही सीटों में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हो जाएगी.
हर बूथ पर 50 वोट बढ़ाने की रणनीति
जहां अमित शाह केजरीवाल को हिंसक प्रदर्शनों पर घेर रहे हैं वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हर विधानसभा में जाकर बूथ प्रभारी और पंच परमेश्वरों से मिल रहे हैं. कार्यकर्ताओं से मिलकर जेपी नड्डा उन्हें जीत का टिप्स बता रहे हैं वो कहते हैं कि पहले खंड प्रमुख के साथ वोटर लिस्ट का अध्ययन करो फिर जो वोट पक्के हैं उसे हरे से, जो कच्चे हैं उसे पीले रंग से और जो कांग्रेस या आप पार्टी के हैं उसे लाल रंग से मार्क करो. फिर पीले और लाल रंग को हरा करने में जुट जाओ…कार्यकर्ताओं को समझाते जेपी नड्डा कहते हैं कि चुनाव को पहले कागज पर उतारो तब वो जमीन पर उतरेगा. नेतागिरी तभी कर सकते हो जब तीस घर के वोटर तुम्हारे कब्जे में होंग
बीजेपी की कोशिश है कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले हर बूथ पर 50 वोट बढ़ाया जाए ताकि कम वोटों से विधानसभा की हार जीत तय होने वाली सीटों को पक्के तौर पर जीता जा सके.