कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमित हुए बच्चे ठीक तो हुए लेकिन अब वह मल्टी सिस्टम इंफ्लामेटरी (एमआईएस) सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं। पोस्ट कोविड बच्चों की दुश्वारियां अब दिल पर हावी हो रही हैं। आम लक्षणों के साथ दिल की बढ़ी धड़कनें उनकी ही नहीं अभिभावकों की घबराहट को भी बढ़ा रही हैं। सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय में अब तक कोरोना संक्रमणमुक्त पांच बच्चों में एमआईएस सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं। राहत की बात यह है कि पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती करने की जरूरत न के बराबर है।
इस तरह के मिले लक्षण
चिल्ड्रेन अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे एमआईएस सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में अलग-अलग लक्षण दिखे। किसी की आंख लाल थी तो किसी के शरीर पर चकत्ते पड़े थे। मुंह में छाले और पेट दर्द की शिकायत के साथ घबराहट की शिकायत सभी ने की, साथ ही बीपी का कम होना भी पाया गया। ऐसे मरीजों में अचानक उल्टी होने का लक्षण भी मिला।
दिल तक पहुंच रहा असर
एमआईएस सिंड्रोम पीड़ित बच्चों के बारे में अहम बात यह है कि यदि पोस्ट कोविड बच्चे घबराहट की शिकायत करते हैं तो तय है कि दिल पर भी इसका असर पहुंचा है। अधीक्षक डॉ. मुकेश बीर सिंह कहते हैं, यदि पोस्ट कोविड बच्चों में दिल की घड़कनें बढ़ी हैं तो कई जरूरी जांचें और विशेषज्ञ की सलाह पर उपचार जरूरी है। ऐसे बच्चों के इलाज में भर्ती नहीं पर सावधानी की जरूरत रहती है। ऐसे बच्चों के इलाज में कई स्टेरॉयड, इम्युनोग्लोबलिन उपयोगी है।
पुष्टि के लिए जरूरी हैं ये जाचें
चिकित्सकों के मुताबिक एमआईएस सिंड्रोम की पुष्टि के लिए कई जांचें कराना जरूरी होता है। इनमें डीडाइमर, सीआरपी, पीटी, एपीटीटी और आईएनआर जांच की सलाह दी जाती है। जरूरत पड़ने पर हार्ट की स्थिति जानने को ईसीजी आदि की जांच भी कराई जा सकती है।
पोस्ट कोविड बच्चों में एमआईएस सिंड्रोम देखने को मिल रहे हैं। ऐसे मरीजों को ओपीडी में देखकर बिना भर्ती किए इलाज करना संभव है। संक्रमण तीन से पांच दिन में काबू में आ रहा है। बाल रोगी अपनी बेहतर प्रतिरोधक क्षमता के कारण स्वस्थ हो रहे हैं। एमआईएस के कोई भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।