Covid Death Indore। इधर इंदौर में कृषि अधिकारी पिता कोरोना से संक्रमित हो गए। उधर खरगोन में डॉक्टर ताऊ और ताई भी संक्रमण से प्रभावित हो गए। पिता का कुछ दिन इंदौर में इलाज कराया, पर कोई फायदा नहीं हो रहा था। गुजरात के वासद में जीजा डॉक्टर हैं और एक अस्पताल में कोविड के प्रभारी भी हैं। परिवार ने सोचा इंदौर में न बेड मिल रहे, न ऑक्सीजन, इसलिए वासद में डॉक्टर दामाद की देखरेख में ही इलाज कराएंगे। परिवार के तीनों संक्रमित सदस्यों को लेकर परिवार वाले गुजरात पहुंचे। वासद अस्पताल में कुछ दिन आइसीयू में कोरोना से तीनों लड़े, लेकिन अंत में हार गए। 11 और 12 अप्रैल को 24 घंटे में परिवार के तीनों सदस्य दुनिया से चल बसे।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पिता श्यामसुंदर गुप्ता, ताऊ डॉ. रामनारायण गुप्ता और ताई आशा गुप्ता को याद कर शशांक गुप्ता की आंखें नम और आवाज भारी हो जाती है। शशांक किसी तरह बताते हैं, पिताजी के साथ ही मम्मी और मैं भी पाॅजिटिव थे। हम तो सामान्य थे, लेकिन पिताजी के फेफड़ों में संक्रमण चला गया था। इंदौर में अव्यवस्थाएं देख इंदौर से पिताजी और खरगोन से ताऊ और ताई को लेकर वासद चले गए। वहां आइसीयू में भर्ती रहे, लेकिन संक्रमण इतना फैल गया कि किसी को नहीं बचाया जा सका। पिताजी और ताऊ एक ही आइसीयू रूम में पास-पास के बेड पर थे। पहले ताऊ नहीं रहे और तीन-चार घंटे के अंतराल में पिताजी भी नहीं रहे।
ताऊ के बेटे विकास गुप्ता, चाचा महेश गुप्ता, नरेंद्र गुप्ता और सबने मिलकर वासद के पास ही पेटलाद के कैलाशधाम में दोनों भाइयों का एक साथ अंतिम संस्कार किया। करीब 24 घंटे के अंतराल में हम ताई को भी नहीं बचा पाए। एक-एक कर परिवार के तीनों वरिष्ठ सदस्य चले गए और परिवार को सूना कर गए। शशांक का कहना है कि इंदौर से गुजरात तक जैसी स्थिति है। जो सामने दिख रहा है, अस्पतालों में उससे भी भयावह स्थिति है। लाेग देखते-देखते धड़ाधड़ मर रहे हैं।
ऐसा दृश्य न कभी देखा, न सोचा था कि अपने हमारी आंखों के सामने इस तरह एकाएक चले जाएंगे। जो लोग अब भी लापरवाही कर रहे हैं या समझ नहीं पा रहे हैं, उनको एक ही बात कहूंगा कि इस बार का कोरोना वायरस बहुत घातक है। दो-तीन दिन बुखार आता है और फिर इतनी तेजी से लंग्स में फैलता है कि पता ही नहीं चलता।