Coronavirus: जिन दवाओं को तमाम लोग बढ़ती उम्र को कम दिखाने के लिए प्रयोग करते हैं, वे दवाएं कोरोना पर असरकारक हो सकती हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक एंटी एजिंग और कोशिकाओं को मरने से बचाने वाली (सेनोलाइटिक्स) दवाएं कोरोना से लड़ाई में बड़ा हथियार साबित हो सकती हैं।
क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट डॉ. स्कंध शुक्ला ने इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल एजिंग में अपने कोविड-19 एंड क्रोनोलॉजिकल एजिंग (सेनोलाइटिक्स एंड अदर एंटी एजिंग ड्रग फार दी ट्रीटमेंट एंड प्रिवेंशन आफ कोरोना वायरस इंफेक्शन) शोध का हवाला देते कहा है कि बचाव और इलाज के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल पर विचार किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम परिवार का एक नया उभरता हुआ वायरस है।
देखा गया है कि कोविड-19 अधिक उम्र वाले रोगियों पर ज्यादा हमला करता है। यह इस सवाल का जवाब देता है कि कोरोना संक्रमण और उम्र बढऩे की प्रक्रिया के बीच एक कार्यात्मक संबंध है। कोविड-19 के लिए दो रिसेप्टर्स हैं, जो कि महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। एक सीडी 26 है और दूसरा एसीई-2 (एंजियोटेंसिन परिवर्तित एंजाइम 2) है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही उम्र बढऩे से संबंधित हैं। इसी तरह कोरोना संक्रमण में दो प्रस्तावित दवाएं एजिथ्रोमाइसिन और क्वेरसेटिन भी महत्वपूर्ण सेनोलाइटिक गतिविधि यानि बुढ़ापे के सेल को मारते हैं। इसके अलावा क्लोरोक्वीन संबंधित बीटा-गैलेक्टोसि भी बुढ़ापे के मार्कर है। अन्य एंटी-एजिंग ड्रग्स पर भी विचार किया जाना चाहिए, जैसे कि रैपामाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन, क्योंकि वे प्रोटीन संश्लेषण के अवरोधक के रूप में व्यवहार करते हैं और कोशिकाओं से उच्चस्तर की सूजन वाले साइटोकिन्स, इम्यून मॉड्यूलेटर, ग्रोथ फैक्टर और प्रोटीन के स्राव को रोकते हैं।