Corona effect: कोरोना संक्रमण बढ़ते ही कम्युनिटी हॉल, मैरिज हॉल की 50 प्रतिशत बुकिंग रद्द

तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण का बुरा असर कम्युनिटी हॉल, मैरिज हॉल व गार्डन, होटलों आदि के कारोबार पर दिखने लगा है। हालत यह है कि संक्रमण के डर से अब तक अप्रैल से शुरू होने वाले लगन की आधी से ज्यादा बुकिंग रद्द हो चुकी है। कम्युनिटी हॉल और मैरिज हॉल संचालकों के पास प्रतिदिन ऐसे दर्जनों केस आ रहे हैं। लोग अपने परिवार में होने वाली शादियों की तिथियां नवंबर और दिसंबर में शिफ्ट कराना चाहते हैं। इसके लिए मैरिज हॉल को दिए गए हजारों रुपये का एडवांस को अगले डेट में समायोजित कराने का आग्रह कर रहे हैं। 

ऑल बिहार टेंट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश सचिव नॉलेज कुमार कहते हैं कि प्रतिदिन ऐसे लोग पहुंच रहे है और अपनी आर्थिक स्थिति की दुहाई देकर एडवांस समायोजित करने का आग्रह कर रहे है। हमलोगों की भी हालत ठीक नहीं है। एडवांस हमलोगों के पास भी नहीं है बल्कि शादी में काम करने वाले अन्य लोग जैसे हलुवाई, डेकोरेशन, लाइटिंग आदि लोगों के बीच दे चुके हैं। शादियां रद्द या स्थगित होने का भारी नुकसान शादी आयोजकों को होगी। 

50 करोड़ का कारोबार प्रभावित
ऑल बिहार टेंट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश सचिव कहते हैं कि शादी समारोहों के रद्द होने से प्रतिदिन केवल पटना में सवा करोड़ से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होने की आशंका है। अप्रैल के लगन में केवल पटना में लगभग पचास करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है। पटना शहर में लगभग छह सौ मैरिज गार्डन, मैरिज हॉल, कमिटी हॉल आदि है। औसतन 25 से 50 हजार रुपये आयोजन स्थलों की एडवांस बुकिंग दिया गया है। 

बैंड-बाजा से लेकर कैटरिंग तक प्रभावित
शादी-समारोहों के रद्द होने से कैटरिंग, हलुवाई, वेटर-मसालची, बैंड-बाजा, शहनाई वादक, सजावटकर्ता, बग्गी संचालक आदि का व्यवसाय भी पिछले साल की तरह प्रभावित होगा। मैरिज हॉल संचालक विशाल कुमार कहते हैं कि एक शादी में अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े चालीस से पचास लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। शादियां रद्द होने का असर इन सभी पर पड़ना तय है। हलुवाई शंकर कुमार कहते हैं कि शादी समारोहों के रद्द होने से इस साल भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। बैंड-बाजा और झाड़-फाटक की एक बुकिंग में 50 से 60 हजार रुपये खर्च होता है और इसमें दस से पन्द्रह लोगों को सीधे-सीधे रोजगार मिलता है। शादियां नहीं होने से इन लोगों के कमाई पर भी संकट गहरा गया है। 

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