Chhattisgarh Assembly Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार हो गई। विधायक रजनीश कुमार सिंह ने केंद्र द्वारा बारदाना की खरीदी के लिए उपलब्ध कराई गई राशि पर सवाल उठाए। सरकार से पूछा कि कितनी राशि में बारदाना खरीदा गया है।
मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम ने जानकारी दी कि 300000 गठान बरदाना की मांग की गई थी, जिसमे 109000 गठान बारदाना प्राप्त हुआ। जूट कमीशन से हमने मांग की थी, उसमें बारदाने का दर 29445 प्रति गठान था। प्रति नग 58 रुपए 69 पैसे कीमत है।
विधायक ने पूछा किसानों से लिए गए बारदानों का भुगतान कितनी राशि में करेंगे। मंत्री ने जवाब दिया कि 15 रुपए प्रतिनग बारदाने के हिसाब से किसानों को भुगतान किया जाएगा। नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि इस वर्ष कितने गठान की आवश्यकता थी, कितना ऑर्डर गया और कितना प्राप्त हुआ।
मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम ने जानकारी दी कि साढ़े तीन लाख गठान की आवश्यकता थी। तीन लाख गठान बारदाना उपलब्ध कराने की स्वीकृति मिली थी। इसके बाद कटौती करते हुए 147000 लाख गठान की स्वीकृति हुई और 109000 गठान बारदाना प्राप्त हुआ।
कौशिक ने सवाल किया कि आवश्यकता के अनुरूप ऑर्डर क्यों नहीं दिया गया। चार लाख की जरूरत थी तो 145000 गठन का आर्डर क्यों दिया गया। मंत्री प्रेम साय सिंह ने कहा कि आवश्यकता अनुसार आर्डर दिया था और इतनी ही राशि जमा भी की थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जूट कमिश्नर ही निर्णय लेते हैं कि किन राज्यों को किस प्रकार से आवश्यकता है उस हिसाब से ही फैक्ट्रियों को आदेश दिया जाता है। जिन राज्यों में पहले धान आता है और जिन राज्यों में बाद में ध्यान आता है उस हिसाब से सप्लाई की गई। 145000 गठान बारदाना की सहमति बनी थी। धान खरीदी बीत गया लेकिन उसके बावजूद पूरे आदेश की सप्लाई नहीं हुई। किसानों और राइस मिलरों के सहयोग से हमने 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा।
कौशिक ने कहा कि किसानों ने जिस दर में बाजार से बारदानों की खरीदी की है, उसी राशि में उन्हें सरकार भुगतान करे। वहीं, बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा, जूट कमीशन से ही बारदानों के खरीदने की बाध्यता है क्या। मंत्री प्रेम साय सिंह ने कहा कि पूर्व से ही जूट कमीशन के माध्यम से ही खरीदी होती रही है। राज्यों को कार्यादेश जारी किया जाता है। अजय चंद्राकर ने पूछा, जेम पोर्टल से किस दर से बरदानों की खरीदी हुई। मंत्री ने बताया कि 70 हजार का कार्यादेश जारी किया गया था। प्रति बोरा 20 रुपये 50 पैसे से लेकर 21 रुपए 75 पैसे तक की राशि से खरीदी हुई है।