रायपुर। Chhattisgarh: धमतरी जिले में नौ शिक्षक ऐसे जिनके पास बीएड की डिग्री ही नहीं है और पिछले 14 सालों से शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों की शिकायत होने पर अब जिला पंचायत ने बीएड की प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने शिक्षकों को अंतिम नोटिस जारी किया है। प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर सभी नौ शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। वहीं जिला शिक्षा विभाग ने भी बिना बीएड डिग्री के इन शिक्षकों को संविलियन भी कर दिया है, ऐसे में जिला शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर भी प्रश्न खड़ा हो गया है।
जिला पंचायत कार्यालय धमतरी ने वर्ष 2006 में शिक्षाकर्मी वर्ग दो की भर्ती किया। इस भर्ती में विभाग ने ऐसे नौ शिक्षकों को बिना बीएड की डिग्री के बगैर ही अंक देकर भर्ती कर लिया गया है, जो पिछले 14 सालों से शासकीय राशि का आहरण कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वर्ष 2011 में आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू ने सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज निकालकर 417 पन्नों में इसकी शिकायत जिला पंचायत व कलेक्ट्रेट में की थी। कलेक्टर ने शिकायत पर दो बार जांच कराया गया। जांच प्रतिवेदन में इन शिक्षकों के बीएड की डिग्री अविधिमान्य मिले हैं। जिला पंचायत सीईओ नम्रता गांधी ने बताया कि लोकायुक्त के आदेश अनुसार नौ शिक्षकों को बीएड डिग्री प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
यदि इन शिक्षकों द्वारा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया, तो सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिन शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया है उनमें कुरूद, मगरलोड और नगरी ब्लाक के शिक्षक शामिल है। वहीं एक शिक्षक धमतरी में भर्ती होकर अपना ट्रांसफर दुर्ग जिले के पाटन ब्लाक में करा लिया है। यह शिक्षक भी इसमें शामिल है। इन शिक्षकों को नोटिस मिलने के बाद उनमें हड़कंप मच गया है। अब इन शिक्षकों को नौकरी जाने का चिंता सताने लगी है, क्योंकि इनके पास बीएड की डिग्री नहीं होने की ज्यादा आशंका है। बताया गया है कि भर्ती के समय इन सभी शिक्षकों के द्वारा इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के बीएड की डिग्री प्रस्तुत की गई थी, जो उस समय मान्य नहीं था। उल्लेखनीय है कि आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू ने कई तरह की शिकायत की है। प्रथम तौर पर बीएड की डिग्री नहीं होने वाले शिक्षकों पर गाज गिरने की आशंका है। वहीं स्काउट गाइड, अनुभव, स्नातकोत्तर डिग्री समेत कई अन्य शिकायतें हैं, जिस पर बारी-बारी से जांच जारी है। कई शिक्षकों पर भविष्य में गाज गिरने की आशंका बनी हुई है।
संविलियन भी हो गया
बीएड की डिग्री नहीं होने वाले नौ शिक्षकों का संविलियन भी हो गया है। जबकि संविलियन होने से पहले शासन स्तर से इन सभी शिक्षकों के बीएड समेत अन्य डिग्री की स्कैन कापी बकायदा मंगाई गई थी, ऐसे में सवाल उठने लगा है कि शिक्षा विभाग ने आखिर किस तरह जांच कर इन शिक्षकों के बीएड की डिग्री शासन को भेजा है। ऐसे में शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर भी सवाल खड़ी हो गई है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी डा रजनी नेल्सन ने बताया कि शिक्षकों की तमाम दस्तावेज जिला पंचायत से होकर आई है। इन प्रमाण पत्रों में जिला शिक्षा अधिकारी ने हस्ताक्षर कर डीपीआई को भेजे हैं। भर्ती संबंधी संपूर्ण प्रक्रिया जिला पंचायत कार्यालय से हुई है। इसके बाद ही संविलियन हुआ है।