Chhath Puja 2020:षष्ठी तिथि पर व्रती अस्तांचल सूर्यदेव को अर्घ्य देकर मंगल कामना करेंगे। शनिवार सप्तमी तिथि को उदयांचल सूर्य नारायण को अर्घ्य देंगे।
बिलासपुर। Chhath Puja 2020: छठ पूजा के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी को छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही 36 घंटों तक चलने वाला कठोर व्रत तप भी शुरू हो गया। व्रतियों ने पूजा-अर्चना की और संध्या खरना का प्रसाद ग्रहण किया। व्रतियों ने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला व्रत रखा और शाम को गन्ने के रस व गुड़ से बनी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इसके बाद पूरे परिवार के सदस्यों ने खीर के प्रसाद को ग्रहण किया।
गुस्र्वार की सुबह छठ व्रतियों ने आम की दातुन कर स्नान के साथ अपना 36 घंटों तक चलने वाले कठोर व्रत तप को शुरू किया। दिनभर व्रत नियमों का पालन करते हुए व्रतियों ने संध्या मिट्टी के नए चूल्हे में जलावन में आम की लकड़ी व कंडे से गुड़ की खीर और सादी रोटी का खरना प्रसाद बनाया। छठ माता के भक्तिगीत गाते हुए इन्हें तैयार किया।
सूर्य अस्त होने के बाद घरों में पूजन कर गुड़ की खीर व सादी रोटी का प्रसाद व्रतियों ने ग्रहण कर खरना किया। व्रतियों के खरना करने के बाद परिवार के सदस्यों व इष्ट मित्रों ने भी खरना का प्रसाद ग्रहण किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ व्रतियों के हाथों से खरना का प्रसाद लिया।
पूजन सामग्रियों से सजा डाला सजाकर देंगे अर्घ्य
20 नवंबर शुक्रवार को षष्ठी तिथि पर व्रती अस्तांचल सूर्यदेव को अर्घ्य देकर मंगल कामना करेंगे। वहीं दूसरे दिन शनिवार 21 नवंबर सप्तमी तिथि को उदयांचल सूर्य नारायण को अर्घ्य देंगे। इसके बाद 36 घंटों से चला आ रहा व्रत भी पूर्ण होगा। व्रती विभिन्न प्रकार के फल, ठेकुआ समेत अन्य पारंपरिक व्यंजनों से पूजा का थाल सजाकर मंगल कलश में भरे जल से अर्घ्य देंगे। व्रती संध्या अर्घ्य देने के लिए शाम को बांस की टोकनी में फल, मिठाई सहित विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्रियों से डाला (टोकरी) सजाकर अर्घ्य देने पहुंचेंगे।
इसके बाद व्रती अंधेरे से निजात पाने के लिए एक दीपक अपने घर पर रखेंगे। दूसरे दिन भोर में सूर्योदय से पूर्व दीपक को जल में प्रवाहित किया जाएगा। इसके बाद उदयांचल सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे। इसके साथ ही 36 घंटों से चला आ रहा निर्जला व्रत भी पूर्ण होगा। मिठाइयों व प्रसाद के साथ व्रती व्रत सफल होने की खुशियां साझा करेंगे। साथ ही गुड़ ग्रहण कर व्रत का परायण करेंगे।
इनसे सजेगा डाला
पारंपरिक पकवान ठेकुआ, चावल के लड्डू, अनरसा, सलोनी समेत अन्य व्यंजन नए चूल्हे पर तैयार किया गया है। शुक्रवार की संध्या अर्घ्य देने के लिए इन व्यंजनों के साथ ही अमरूद, सेब, संतरा, नारियल, केला, घाघल, नींबू, सिंघाड़ा, मूली, गाजर, अदरक, शकरकंद, उख, मूंगफली आदि से डाला सजाया जाएगा। नई साड़ी भी रखी जाएगी।
होगी कोसी भराई
संध्या सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए शाम को घरों में कोसी भराई की रस्म होगी। जिन घरों में षष्ठी माता की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण हुई होंगी, उन घरों में कोसी भराई की रस्म की जाएगी। वहीं गन्ने का मंडप सजाकर विधि-विधान से पूजा होगी।
घरों में बने कुंड में निभाएंगे परंपरा
कोरोना संक्रमण की वजह से छठ घाट पर हर वर्ष की तरह इस बार किसी भी प्रकार का सामूहिक आयोजन नहीं हो रहा है। इसे देखते हुए संध्या और भोर में अर्घ्य देने के लिए घर-घर सरोवर (कुंड) बनाया गया है। इसके लिए घर के आंगन से लेकर छतों तक में व्यवस्था की गई है। इसे अरपा का घाट मानकर व्रती सेवा कर रहे हैं। संध्या दीपदान के साथ ही सरोवर(कुंड) की शुद्धता का विशेष ख्याल रख रहे हैं। यहीं गन्न्े का मंडप भी सजाया जाएगा।
कई कथाएं हैं प्रचलित
छठ पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हंै। एक कथा के अनुसार प्रियंवद और मालिनी की कथा है। पुराणों के अनुसार राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र हुआ। लेकिन, वह मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं।
राजन तुम मेरी पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी में करो और दूसरों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया। उसके प्रभाव से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। एक अन्य मान्यता है कि भगवान राम और सीता माता ने भी कार्तिक शुक्ल षष्ठी का व्रत किया था। इसके अनुसार भगवान राम ने लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना की थी और सप्तमी को सूर्योदय समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। वहीं दूसरी कथा के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने भी सूर्य पूजा की थी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। भगवान सूर्य की कृपा से वे महान योद्धा बने थे। छठ पर्व को लेकर एक कथा और भी मिलती है। इस कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था और सूर्यदेव ने उनकी मनोकामना पूर्ण की। इसके फलस्वरूप पांडवों को राजपाट वापस मिला।
रखते हैं शुद्धता का विशेष ख्याल
पाटलीपुत्र संस्कृति विकास मंच के उपाध्यक्ष राम प्रताप सिंह ने बताया कि हर घर में व्रत पूजन की अलग-अलग परंपरा होती है। इसके तहत वे अपने घरों में पीढ़ियों से चली आ रही परंपरानुसार व्रत नियम का पालन करते थे। इस व्रत पूजन में शुद्धता का विशेष महत्व होता है। इसे देखते हुए व्रती और परिवार के सदस्य व्रत नियमों का पालन करते हुए शुद्धता रखते हैं, ताकि व्रतियों को किसी भी प्रकार से परेशानी न हो। प्रसाद बनाने के बर्तन और चूल्हे भी नए उपयोग होते हैं। फलों का चयन भी बेहद ही सूक्ष्मता से किया जाता है।
बाजार में रही रौनक
छठ पर्व में विशेष रूप से नई वस्तुओं की मांग रहती है। इसमें बांस की बनी नई टोकनी, सूपा खास होता है। साथ ही प्रसाद के लिए सभी प्रकार के मौसमी फल और मंडप बनाने के लिए गन्नों की पूछ-परख बनी रही। पर्व के महत्व को देखते हुए लोगों ने सभी प्रकार के फल और पूजन सामग्रियों की खरीदारी की। साथ ही कपड़ा बाजार में भी रौनक रही। पूजन के लिए जहां महिलाओं ने साड़ी तो वहीं पुस्र्षों ने नई धोती और कुर्ते की खरीदारी की। वहीं स्वजन के लिए नए कपड़ों की खरीदरी होती रही।
छठघाट से लेकर घर-घर रोशनी
छठ पर्व पर इस बार भले ही कोई सामूहिक आयोजन नहीं हो रहा है। फिर भी प्रशासन की ओर से घाट को सजाया गया है। इससे घाट के साथ-साथ घर-घर रोशनी है। वहीं घरों में पांरपरिक गीतों की गूंज हो रही है।
पाटलीपुत्र संस्कृति विकास मंच नहीं कर रहा आयोजन
पाटलीपुत्र संस्कृति विकास मंच के उपाध्यक्ष सिंह ने बताया कि इस बार कोरोना को देखते हुए पाटलीपुत्र संस्कृति विकास मंच छठ घाट पर किसी भी प्रकार का कोई आयोजन नहीं कर रहा है। क्योंकि कोराना और देर से अनुमति मिलने पर व्यवस्था संभव नहीं हो सकी। हमें छठ पर्व शुरू होने के मात्र एक दिन पहले ही उचित दूरी नियमों के पालन के साथ सामूहिक आयोजन करने की इजाजत मिली थी।
इतने कम समय में सभी व्यवस्थाओं को करना संभव नहीं था। इसमें घाट की सफाई सहित अन्य सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते। इसके लिए एक महीने पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस वजह से मंच की ओर से सामूहिक आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया। हमें छठ घाट पर होने वाले आयोजन को लेकर न तो कोई आपत्ति है और न ही हमारी जिम्मेदारी है। प्रशासन ने तैयारियां की हैं तो कोई भी अपनी सुविधानुसार अर्घ्य दे सकता है।
तोरवा और राजकिशोर नगर की ओर भारी वाहन रहेंगे प्रतिबंधित
छठ पूजा को देखते हुए यातायात पुलिस ने शुक्रवार और शनिवार को राजकिशोर नगर व तोरवा की ओर जाने वाले भारी वाहनों को प्रतिबंधित किया है। इस दौरान वाहनों को अलग-अगल मार्गों में डायवर्ट किया जाएगा। वहीं, छठ घाट पर आने वाले लोगों के लिए अलग-अगल चार जगहों पर पार्किंग बनाई गई है।
यातायात एएसपी रोहित बघेल ने बताया कि छठ पर्व के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए शुक्रवार की दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक राजकिशोर नगर और तोरवा की ओर जाने वाले भारी वाहनों को डायवर्ट किया जाएगा। इस दौरान क्षेत्र में भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण राजकिशोर क्षेत्र में यातायात जवानों को तैनात किया जाएगा।
इन मार्गों को किया जाएगा डायवर्सन
- रायपुर, रतनपुर, कोरबा, अंबिकापुर से आने वाले भारी वाहन को पेंड्रीडीह तथा तुर्काडीह बाइपास होकर जाना होगा।
- सीपत की ओर से आने जाने वाली भारी वाहन जो गुरुनानक चौक की ओर जाना चाहते हैं, उन्हें सरकंडा कोनी से तुर्काडीह, पेंड्रीडीह, सिरगिट्टी बाइपास होकर जाएंगे।
- रायपुर रोड से चांपा की ओर जाने वाले वाहन सिरगिट्टी बाइपास होकर लाल खदान मार्ग से मस्तूरी की ओर जा सकेंगे।
- रात में इंदु चौक से गुरुनानक चौक बस स्टैंड रोड से भारी वाहनों का आवागमन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होगा।
- शहर से आने वाले छोटे वाहन, कार, पिकअप शुक्रवार की दोपहर दो बजे से रात दो बजे तक दयालबंद गुरु नानक स्कूल होते हुए लिंगियाडीह पुल से छठ घाट एवं राजकिशोर तक पहुंचेंगे।
यात्री बसों के लिए व्यवस्था
शनिवार की सुबह पांच से 11 बजे तक मस्तूरी की ओर जाने वाली यात्री बसों को हाईटेक बस स्टैंड से सिरगिट्टी होकर भेजा जाएगा। वहीं, वाहनों की वापसी भी इसी मार्ग से होगी। इस दौरान शहर के अंदर से यात्री बसों का परिवहर प्रतिबंधित रहेगा।
यहां रहेगी पार्किंग
- छठ घाट के पहले स्मृति वाटिका के पास
- धानमंडी पेट्रोल पंप के सामने
- राजकिशोर नगर की ओर तोरवा पुल के पहले
- छठ व्रतियों के लिए वाहन का पार्किंग स्थल घाट के गेट नंबर दो में होगी।