छठ पूजा का प्रारंभ चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है और सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है. इस पूजा में सुहाग के प्रतीक सिंदूर का खास महत्व है. इसलिए पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं.
छठ व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. महिलाएं अपने सुहाग और संतान की मंगल कामना के लिए 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं. छठ पूजा का प्रारंभ चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है और सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है.
छठ पूजा में सिंदूर का महत्व
संतान के अलावा छठ का व्रत पति की लंबी आयु की कामना से भी रखा जाता है. इसलिए इस पूजा में सुहाग के प्रतीक सिंदूर का खास महत्व है. इस दिन स्त्रियां अपने पति और संतान के लिए बड़ी निष्ठा और तपस्या से व्रत रखती हैं. हिंदू धर्म में विवाह के बाद मांग में सिंदूर भरने को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. छठ पूजा में भी महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं. मान्यता है कि मांग में लंबा सिंदूर भरने से पति की आयु लंबी होती है.
कहा जाता है कि विवाहित महिलाओं को सिंदूर लंबा और ऐसा लगाना चाहिए जो सभी को दिखे. ये सिंदूर माथे से शुरू होकर जितनी लंबी मांग हो उतना भरा जाना चाहिए. मान्यता है कि जो भी महिलाएं पूरे नियमों के साथ छठ व्रत को करती हैं, छठी मइया उनके परिवार को सुख और समृद्धि से भर देती हैं.