Breaking Relationships: कोरोना ने छीन ली जिंदगी, पर रिश्तों को तो जीवित रखिए

भोपाल: कोरोना की दूसरी लहर में हर व्यक्ति ने अपनों को खोया है। जब कोरोना का पहला स्ट्रेन आया था तब लोग विश्रामघाट जाने से डर रहे थे कि कहीं वे संक्रमित न हो जाएं। पीपीई किट पहनकर प्रशासन ही शवों का अंतिम संस्कार करा रहा था। अब वही स्थिति दोबारा बनती नजर आ रही है। संक्रमित होने के बाद जिन परिजनों ने अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया वही मरीज के निधन के बाद उसका शव पहचानने तक से इन्कार कर रहा है। हैरत की बात तो यह है कि कोरोना रिश्तों में दूरिया ला रहा है लेकिन इस कदर की एक बहन ने भाई को पहचानने से ही इन्कार कर दिया। लिहाजा परिजनों के इंतजार में पिछले पांच दिन से मर्च्युरी में उमेश राजपूत का शव रखा हुआ है। इतना ही नहीं कई और शव भी रखे हुए हैं पर कोई लेने नहीं आया। इधर, एक अन्य मृत कोरोना मरीज सामने आया है जिसे लेने के लिए कोई परिजन हमीदिया नहीं आया। इस तरह अब कोरोना संक्रमण के चलते दो लोगों की मौत हो चुकी है जिनका शव अपने परिजनों का इंतजार अंतिम संस्कार के लिए कर रहा है।

केस -1

ग्राम समरधा पाल ढाबा के पास रहने वाले 26 वर्षीय उमेश राजपूत की मौत 19 अप्रैल को हो गई थी। इनके पिता सूरज राजपूत की मौत भी 17 अप्रैल को हो गई थी। माता-पिता का अंतिम संस्कार उमेश की बहन ने किया। इसके बाद उमेश की भी तबीयत बिगड़ने लगी। जिस बहन ने भर्ती कराया अब वही बहन फोन पर अधिकारियों से कह रही है कि वह उमेश को नहीं जानती है। उसने यहां तक कहा कि वह तो कभी उससे मिली तक नहीं। लिहाजा पांच दिन से उमेश का शव परिजन का इंतजार कर रहा है।

केस-2

ग्राम पथवोड़ा शाजापुर के रहने वाले आयुष प्रजापति को रमेश प्रजापति ने भर्ती कराया था। 23 अप्रैल को रमेश की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हमीदिया में हो गई। तब से प्रशासन और हमीदिया प्रबंधन रमेश को फोन कर रहा है लेकिन रमेश का कहना है कि वह उसे जानता भी नहीं है। पता नहीं उसका नंबर कैसे लिख दिया गया। आयुष का शव भी चार दिन से हमीदिया की मर्च्युरी में परिजनों का इंतजार कर रहा है ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके।

केस-3

रामकुमार गुप्ता की मृत्यु 24 अप्रैल को हो गई थी। उसके बाद से उसका शव लेने कोई नहीं आया। हमीदिया प्रबंधन ने जब उसके परिजनों को फोन किया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। 26 अप्रैल को फोन उठा और उन्हें जब इस संबंध में बताया गया तब जाकर 27 अप्रैल को रामकुमार गुप्ता का शव परिजनों को कोविड प्रोटोकॉल के तहत सौंपा गया। रामकुमार गुप्ता का अंतिम संस्कार अंतत: हो गया।

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