बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आक्सीजन प्रकरण में आरोपी डा. कफील खान को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पुलिस कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा और उनकी पूर्णिमा शुक्ला को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। आपको बता दें कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 36 बच्चों की मौत हुई थी।
इस मामले में शुक्रवार को आरोपी डॉ. कफील सहित सातों अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट से गैर जमानती वारंट लिया था। इसके साथ ही पुलिस अब कफिल को पकड़ने के लिए दबिश तेज कर दी थी। इससे पहले पुलिस उन्हें पूछताछ में सहयोग करने के लिए कह रही थी। पर किसी अभियुक्त ने अभी तक ऐसा नहीं किया। यही नहीं पुलिस से छिपने के प्रयास में ही पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ला को एसटीएफ ने कानपुर से गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें वारंट बी पर गोरखपुर ले आया गया और गुरुवार को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया। अन्य अभियुक्तों से पूछताछ के लिए पुलिस ने उन्हें नोटिस दिया, उनके घरवालों से सम्पर्क कर आरोपियों को विवेचक के सामने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा। लेकिन वे सामने नहीं आए।
इसके साथ ही पुलिस उनके खिलाफ गैर जामनती वारंट लेने के प्रयास में भी जुटी रही। शुक्रवार को पुलिस को इसमें कामयाबी मिली। विवेचक अभिषेक सिंह ने फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम महेन्द्र प्रताप सिंह के अदालत में गैर जमानती वारंट के लिए आवेदन किया जिस पर अदालत ने फरार चल रहे सातों अभियुक्तों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दी।
यह है मामला
बीआरडी मेडिकल कालेज में 10 व 11 अगस्त को कुछ घंटों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप हो गई। इन दो दिनों में बालरोग विभाग में 30 मासूमों की मौत हो गई। इसके अलावा मेडिसिन में भी 18 मरीजों की मौत हो गई। इस घटना के बाद शासन ने मुख्य सचिव की अगुआई में जांच टीम गठित की थी। टीम के रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज हुई।
इनके खिलाफ दर्ज है मुकदमा
महानिदेशक चिकित्सा-शिक्षा डॉ. केके गुप्ता की तहरीर पर पुलिस ने हजरतगंज थाने में 23 अगस्त को तत्कालीन प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसमें पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्रा उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को छोड़ अन्य फरार हैं।
डॉ.कफील खान
राजघाट के तुर्कमानपुर निवासी डा. कफील खान 100 नम्बर के प्रभारी थे। आरोप है कि ऑक्सीजन ख़त्म होने की बात उन्होंने अधिकारियों तक समय से नहीं पहुंचाई थी। इसके अलावा इनपर प्राइवेट प्रैक्टिस का भी आरोप है। इसलिए ये भी इस मामले में आरोपी हैं और इनके खिलाफ भी केस दर्ज है। पुलिस अपनी विवेचना में डा. कफिल को गंभीर आरोपी मान रही है। इसी नाते पुलिस ने डा. कफिल के यहां अब तक कई बार दबिश दी है। यही नहीं विवेचना में डा. कफिल पर पुलिस कुछ और भी गंभीर धारा बढ़ा सकती है। इसकी भी तैयारी शुरू हो गई है।